लुटेरे बाबर की क्रूरता के किस्से

गुरुवार, 14 जून 2018 (12:32 IST)
मुगलवंश का संस्थापक बाबर एक लूटेरा था। उसने उत्तर भारत में कई लूट को अंजाम दिया। मध्य एशिया के समरकंद राज्य की एक बहुत छोटी सी जागीर फरगना (वर्तमान खोकन्द) में 1483 ई. में बाबर का जन्म हुआ था। उसका पिता उमर शेख मिर्जा, तैमूरशाह तथा माता कुनलुक निगार खानम मंगोलों की वंशज थी।
 
 
चंगेज खान भी मंगोल था। मंगोल पहले बौद्ध थे बाद में मुस्लिम बन गए। कुछ इतिहाकारों के अनुसार यह मंगोल ही मंघोल और बाद में मुगल हो गया। हालांकि यह शोध का विषय है इस पर अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
 
बाबर ने अपने विजय पत्र में अपने को मूर्तियों की नींव का खण्डन करने वाला बताया। इस भयंकर संघर्ष से बाबर को गाजी की उपाधि प्राप्त की। गाजी उसे कहा जाता है जो काफिरों का कत्ल करे। बाबर ने अमानुषिक ढंग से तथा क्रूरतापूर्वक हिन्दुओं का नरसंहार ही नहीं किया, बल्कि अनेक हिन्दू मंदिरों को भी नष्ट किया।
 
इतिहासकारों के अनुसार 1528 में बाबर के सेनापति मीर बकी ने अयोध्या में राम मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बनवाई थी। बाबर एक तुर्क था। उसने बर्बर तरीके से हिन्दुओं का कत्लेआम कर अपनी सत्ता कायम की थी। मंदिर तोड़ते वक्त 10 हजार से ज्यादा हिन्दू उसकी रक्षा में शहीद हो गए थे।

भारत के प्रथम मुगल सम्राट बाबर के आदेश पर मंदिर की जगह मस्जिद का निर्माण किया गया। मीर बाकी ने इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा। 1940 के दशक से पहले, मस्जिद को मस्जिद-इ-जन्मस्थान कहा जाता था ध्वस्त मंदिर के स्थान पर मंदिर के ही टूटे स्तंभों और अन्य सामग्री से आक्रांताओं ने मस्जिद जैसा एक ढांचा जबरन वहां खड़ा किया, लेकिन वे अजान के लिए मीनारें और वजू के लिए स्थान कभी नहीं बना सके।
 
 
उस दौरान के इतिहास अनुसार राम मंदिर को बचाने के लिए 15 दिन तक संघर्ष चला था। अयोध्या में रक्त की नदियां बह गई थी। 10 हजार से अधिक हिन्दू शहीद हो गए और अंत में आक्रांताओं ने मंदिर को तोपों से उड़ा दिया। हालांकि बाद में जब हिन्दुओं का जोर चला तब फिर मंदिर को वहां स्थापित किया गया लेकिन उसे फिर से तोड़ दिया गया। 
 
 
1528 से 1949 ईस्वी तक श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण हेतु 76 से अधिक संघर्ष और युद्ध हुए। इस पवित्र स्थल हेतु श्रीगुरु गोविंदसिंह जी महाराज, महारानी राज कुंवर तथा अन्य कई विभूतियों ने भी संघर्ष किया। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि राम मंदिर संघर्ष में अब तक 1,76,000 हिन्दुओं ने अपने जीवन की आहुति दे दी है।
 
 
30 अक्तूबर 1990 को हजारों रामभक्तों ने मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खड़ी की गईं अनेक बाधाओं को पार कर अयोध्या में प्रवेश किया और विवादित ढांचे के ऊपर भगवा ध्वज फहरा दिया। इस दौरान हजारों कारसेवकों पर लाठीचार्ज किया गया।
 
 
2 नवम्बर, 1990 को मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया, जिसमें कोलकाता के राम कोठारी और शरद कोठारी (दोनों भाई) सहित अनेक रामभक्त शहीद हो गए। सरयू नदी को मुलायम सिंह यादव के आदेश से खून से रंग दिया गया। यही कारण है कि मुलायम सिंह यादव को आज तक कारसेवकों का हत्यारा माना जाता है। इसके विरोध में 4 अप्रैल, 1991 को दिल्ली के वोट क्लब पर अभूतपूर्व रैली हुई। इसी दिन कारसेवकों के हत्यारे, उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इस्तीफा दे दिया।
 
बाबर के किस्से :
* कहते हैं कि बाबर के पिता उमर शेख को शराब पीने का बड़ा शौक था। वह बाबर को भी चखने के लिए देता था।
 
* बाबर की नसों में तुर्कों के साथ मंगोलों का भी रक्त था। बाबर ने काबुल पर अधिकार कर स्वयं को मुगल प्रसिद्ध किया था। बाद में यही नाम प्रचलित हो गया। हालांकि वह कभी भी अपने को मंगोल या मुगलों से नहीं जोड़ता था। बाबर ने छल कपट से काबूल पर कब्जा किया था।
 
* बाबर ने अपनी आत्मकथा 'तुजुक ए बाबरी' में लिखा कि उसका पहला शिक्षक शेख मजीद बेग एक बड़ा अय्याश था इसलिए बहुत गुलाम रखता था। आगे उसने दूसरे शिक्षक कुलीबेग के बारे में लिखा कि वह न नमाज पढ़ता था, न रोजा रखता था, वह बहुत कठोर भी था। तीसरे शिक्षक पीर अली दोस्तगाई के बारे में उसने लिखा कि वह बेहद हंसोड़- ठिठोलिया और बदकारी में माहिर था। हालांकि इसको लेकर बाबर ने आशिकी पर शेर लिखे थे, परन्तु जब बाबर ने बाद में उसे एक बार आगरा की गली में देखा तो उसने स्वयं बाबरनामा में लिखा, वह लड़का मिल गया जो हमारी सोहब्बत में रह चुका था। हम उससे आंखें नहीं मिला पाए, क्योंकि अब हम बादशाह हो चुके थे।
 
* बाबर की कट्टर और क्रूर था। उसने अपने पहले आक्रमण में ही बाजौर के सीधे-सादे 3000 से भी अधिक निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी। यहां तक कहा जाता है कि उसने इस युद्ध के दौरान एक पुश्ते पर आदमियों के सिरों को काटकर उसका स्तंभ बनवा दिया था। यह नरसंहार उसने 'भेरा' पर आक्रमण करके भी किए थे।
 
* बाबर द्वारा किए गया तीसरा, चौथा व पांचवां आक्रमण- सैयदपुर, लाहौर तथा पानीपत पर किया था जिसमें उसने किसी के बारे में नहीं सोचा। उसके रास्ते में बूढ़े, बच्चे और औरतें, जो कोई भी आया वह उन्हें काटता रहा। वह किसी भी कीमत पर अपने साथ ज्यादा से ज्यादा धन लूट कर ले जाना चाहता था। कहते हैं कि गुरुनानक जी ने बाबर के इन वीभत्स अत्याचारों को अपनी आंखों से देखा था। उन्होंने इन आक्रमणों को पाप की बारात और बाबर को यमराज की संज्ञा दी थी।
 
* बाबर का टकराव इब्राहिम लोदी सहित कई शासकों के साथ हुआ, लेकिन किसी ने उसे ज्यादा परेशान नहीं किया। कहा जाता है कि जब वह मेवाड़ के राणा सांगा के साथ दो-दो हाथ करने पहुंचा तो उन्होंने उसको उसका छठी का दूध याद दिला दिया था।  

* बाबर ने चगताई तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा 'तुजुक ए बाबरी' लिखी इसे इतिहास में बाबरनामा भी कहा जाता है। बाबर का टकराव दिल्ली के शासक इब्राहिम लोदी से हुआ। बाबर के जीवन का सबसे बड़ा टकराव मेवाड़ के राणा सांगा के साथ था। बाबरनामा में इसका विस्तृत वर्णन है। संघर्ष में 1927 ई. में खन्वाह के युद्ध में, अन्त में उसे सफलता मिली।
 
* कहते हैं कि बाबर ने मुसलमानों की हमदर्दी पाने के लिए हिन्दुओं का नरसंहार ही नहीं किया, बल्कि अनेक हिन्दू मंदिरों को भी नष्ट किया। उसके एक अधिकारी ने संभल में एक मंदिर को गिराकर मस्जिद का निर्माण करवाया। उसके सदर शेख जैना ने चन्देरी के अनेक मंदिरों को नष्ट किया। यही नहीं ग्वालियर के निकट उरवा में अनेक जैन मंदिरों को भी नष्ट किया था। बाबर की आज्ञा से मीर बाकी ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर निर्मित प्रसिद्ध मंदिर को नष्ट कर मस्जिद बनवाई।

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