मध्यकाल के सम्राट हर्षवर्धन, सम्राट पुलकेशिन और सम्राट दाहिर के बाद बदल गई भारत की तस्वीर। इनके जाने के बाद भारत पर अरब और तुर्कों के आक्रमण बढ़ने लगे। राजा दाहिर की मुहम्मद बिन कासिम के हाथों हार के साथ ही भारत की पश्चिम दीवार टूट गई और फिर आया महमूद गज़नवी। अरबों के बाद तुर्कों का आक्रमण चला।
1. अलप्तगीन नामक एक तुर्क सरदार ने गजनी में तुर्क साम्राज्य की स्थापना की। 977 ई. में अलप्तगीन के दामाद सुबुक्तगीन ने गजनी पर शासन किया।
2. सुबुक्तगीन ने मरने से पहले कई लड़ाइयां लड़ते हुए अपने राज्य की सीमाएं अफगानिस्तान, खुरासान, बल्ख एवं पश्चिमोत्तर भारत तक फैला ली थीं।
3. सुबुक्तगीन की मुत्यु के बाद उसका पुत्र महमूद गजनवी 998 ई. में गजनी की गद्दी पर बैठा। जब उसकी उम्र 27 साल थी। उसका जन्म 1 नवंबर, 971 में हुआ था।
4. महमूद गजनवी ने बगदाद के खलीफा के आदेशानुसार भारत के अन्य हिस्सों पर आक्रमण करना शुरू किए।
5. उसने प्रत्येक वर्ष भारत के अन्य हिस्सों पर आक्रमण करने की प्रतिज्ञा की। महमूद गजनवी ने भारत पर पहला आक्रमण 1001 ई. में किया जब सीमावर्ती क्षेत्र का राजा जयपाल था। जयपाल ने अपनी मुक्ति के लिए बहुत धन दिया, किन्तु अपने इस अपमान को वह सहन नहीं कर सका और आत्मदाह कर लिया। जयपाल हिंदूशाही वंश का राजा था जिसका पश्चिमोत्तर पाकिस्तान तथा पूर्वी अफगानिस्तान पर राज था।
6. अपने 13वें अभियान में गजनवी ने बुंदेलखंड, किरात तथा लोहकोट आदि को जीत लिया। 14वां आक्रमण ग्वालियर तथा कालिंजर पर किया। अपने 15वें आक्रमण में उसने लोदोर्ग (जैसलमेर), चिकलोदर (गुजरात) तथा अन्हिलवाड़ (गुजरात) पर आक्रमण कर वहां खूब लूटपाट की।
7. माना जाता है कि महमूद गजनवी ने अपना 16वां आक्रमण (1025 ई.) सोमनाथ पर किया। उसने वहां के प्रसिद्ध मंदिरों को तोड़ा और वहां अपार धन प्राप्त किया। यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर को लूटते समय महमूद ने लगभग 50,000 हिन्दुओं का कत्ल कर दिया था। इसकी चर्चा पूरे देश में आग की तरह फैल गई। उस समय गुजरात के राजा भीमसेन प्रथम थे।
8. 1027 ई. में 17वां आक्रमण उसने सिन्ध और मुल्तान के तटवर्ती क्षेत्रों के जाटों व खोखरों पर किया था। महमूद गजनवी ने 1000 ई. से 1027 ई. के मध्य भारत पर 17 बार आक्रमण किया।
9. मलिक अयाज़ सुल्तान उसका सेनापति था। फिरदौसी उसका दरबारी कवि था। 30 अप्रैल, 1030 ई. को मलेरिया के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
10. गजनी ने 1004 में मुल्तान के राजा फतह दाउद पर किया, आनंदपाल हिंदूशाही वंश के 1008 ई. पर किया, 1009 ई. में नगरकोट (कांगड़ा) पर आक्रमण कर लुटपाट की। इसके बाद 1015 ई में कश्मीर पर आक्रामण किया जब लोहार वंश की शासिका रानी दिदा से महमूद पराजित हो गया था। यह भारत में महमूद की प्रथम पराजय थी।
इसके बाद 1015 ई. में मथुरा और वृंदावन पर आक्रमण किया जो उस समय क्षेत्रीय कल्चुरि शासक कोक्कल द्वितीय पराजित हुआ। वहां उसने खूब लूटपाट की और मथुरा तथा वृंदावन को पूर्णत: विध्वंस कर दिया गया। 1015 ई. पर उसने कन्नौज पर आक्रमण किया जब प्रतिहार शासक राजपाल था। इसके बाद 1019 ई. में बुंदेलखंड पर आक्रामण किया परंतु वहां पर चंदेल शासक विद्याधर की विशाल सेना देखकर वह घबरा गया। इस युद्ध का कोई निर्णय नहीं हो सकता। 1025 ई. में उसने सोमनाथ पर आक्रामण किया था। उस समय काठियावाड़ का शासक भीमदेव था जो भाग गया था। उसके बाद उसने 1027 ई. में जाटों के विरुद्ध आक्रमण किया।