महाकुंभ 2025 : गंगा पंडाल में संस्कृति और कला का महासंगम

अवनीश कुमार

मंगलवार, 31 दिसंबर 2024 (00:03 IST)
Prayagraj Mahakumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित होने वाला महाकुंभ 2025 न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक होगा, बल्कि यह भारत की समृद्ध कला और संस्कृति का भी शानदार उत्सव बनेगा। महाकुंभ के इस अद्वितीय पर्व में श्रद्धालुओं के समक्ष देशभर की विविध संस्कृतियों की झलक प्रस्तुत की जाएगी। गंगा पंडाल में 16 जनवरी से 24 फरवरी तक आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में देशभर से आए कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से महाकुंभ 2025 के आयोजक यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि भारतीय संस्कृति के हर पहलू का अनुभव श्रद्धालु करें।  
 
महाकुंभ 2025 के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उद्देश्य भारतीय कला, संगीत और नृत्य के विभिन्न रूपों को श्रद्धालुओं तक पहुंचाना है। गंगा पंडाल में हर दिन अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जहां कलाकार अपनी कला की प्रस्तुति देंगे। इन कार्यक्रमों में देशभर के कलाकार नृत्य, संगीत, गायन और कला के विभिन्न रूपों के जरिए महाकुंभ के माहौल को और भी आकर्षक बनाएंगे।
ALSO READ: Prayagraj Kumbh Mela 2025: प्रयागराज कुंभ में कहां कहां घूमना चाहिए?
इस महाकुंभ के उद्घाटन समारोह में प्रसिद्ध गायक शंकर महादेवन अपनी मधुर आवाज का जादू बिखेरेंगे। वहीं समापन समारोह में लोकप्रिय गायक कैलाश खेर अपनी प्रस्तुति देंगे। इनके अलावा भारतीय संगीत और कला जगत की प्रमुख हस्तियां जैसे दीपिका रेड्डी, शांतनु मुखर्जी (शान) और कविता कृष्णमूर्ति भी इस सांस्कृतिक महाकुंभ का हिस्सा बनेंगी और अपनी कला से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध करेंगी।
ALSO READ: Prayagraj Mahakumbh : श्रद्धालुओं की सुरक्षा को तैनात होगी घुड़सवार पुलिस, पूरे मेला क्षेत्र में करेगी गश्‍त
इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से महाकुंभ 2025 के आयोजक यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि भारतीय संस्कृति के हर पहलू का अनुभव श्रद्धालु करें। संगीत, नृत्य और कला के इस अद्भुत संगम से महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को न केवल धार्मिक अनुभव मिलेगा, बल्कि भारतीय कला और संस्कृति की गहरी समझ भी प्राप्त होगी।
ALSO READ: Prayagraj Mahakumbh : 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइटों से संवारा जा रहा महाकुंभ क्षेत्र
महाकुंभ के इस सांस्कृतिक आयोजन के तहत देशभर के विभिन्न क्षेत्रों की लोक कलाओं और संगीत की धारा का संगम होगा। यह आयोजन न केवल आस्था और धर्म का, बल्कि भारत की अद्भुत सांस्कृतिक विविधता का भी प्रतीक बनेगा।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी