Osho Rajneesh: ओशो रजनीश की पुण्यतिथि पर पढ़ें रोचक जानकारी

WD Feature Desk

शुक्रवार, 17 जनवरी 2025 (14:34 IST)
Osho Festival 2025: रजनीश ओशो का जन्म 11 दिसंबर, 1931 को मध्य प्रदेश में हुआ था। उनका असली नाम चंद्रमोहन जैन था। और ओशो का निधन 19 जनवरी को हुआ था तथा इस दिन को ओशो महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह एक ऐसा आयोजन है जो आध्यात्मिकता, संगीत, ध्यान और जीवन के उत्सव को एक साथ लाता है। यह आयोजन ओशो राजनीश, जिन्हें ओशो के नाम से भी जाना जाता है, के विचारों और शिक्षाओं पर आधारित है। ओशो एक भारतीय रहस्यवादी, दार्शनिक और गुरु थे, जिन्होंने आध्यात्मिकता को एक आधुनिक रूप दिया।ALSO READ: Prayagraj Kumbh 2025: महाकुंभ मेले में जा रहे हैं तो जान लें ये खास जानकारी
 
आइए यहां जानते हैं ओशो महोत्सव के बारे में रोचक जानकारी...
 
ओशो महोत्सव का उद्देश्य क्या हैं : 
 
ओशो महोत्सव का मुख्य उद्देश्य लोगों को आध्यात्मिकता के प्रति जागरूक करना और उन्हें अपने भीतर के आत्म को खोजने में मदद करना है। साथ ही इस महोत्सव में विभिन्न संस्कृतियों के लोग एक साथ आते हैं, जिससे सांस्कृतिक विनिमय होता है। इस महोत्सव में विभिन्न प्रकार के ध्यान और संगीत कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिससे लोग तनाव मुक्त हो सकते हैं और आंतरिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। ओशो का मानना था कि जीवन एक उत्सव है। अत: यह महोत्सव जीवन उत्सव के इसी भावना को दर्शाता है।
 
ओशो महोत्सव का महत्व क्या है :
 
ओशो महोत्सव एक ऐसा अवसर है, जो लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें आध्यात्मिक रूप से समृद्ध होने का अवसर प्रदान करता है। यह महोत्सव लोगों को तनाव मुक्त जीवन जीने और आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद करता है। इसमें भाग लेने के कई लाभ मिलते हैं, जैसे तनाव मुक्ति, आंतरिक शांति, व्यक्तिगत विकास, नए लोगों से मिलना यानि अपनी जान-पहचान को बढ़ाना। इस महोत्सव के जरिए हमें अलग-अलग देशों और संस्कृतियों के लोगों से मिलने का अवसर मिलता है। साथ-साथ इस अवसर पर आयोजित ध्यान सत्र और अन्य गतिविधियां हमारे तनाव को कम करने में मदद करती हैं तथा आंतरिक शांति प्राप्त करने का अवसर मिलता है। जिससे स्वयं को व्यक्तिगत विकास के लिए कई अवसर मिलते हैं।ALSO READ: Mahakumbh 2025: प्रयाग कुंभ के 12 रोचक तथ्य और महिमा जानकर चौंक जाएंगे
 
ओशो महोत्सव में क्या होता है? :
 
प्रतिवर्ष इस महोत्सव में विभिन्न प्रकार के ध्यान सत्र आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि सक्रिय ध्यान, मौन ध्यान और नृत्य ध्यान आदि। साथ ही विभिन्न प्रकार के संगीत और नृत्य कार्यक्रम भी इस महोत्सव में आयोजित किए जाते हैं। इस अवसर पर ओशो के विचारों और शिक्षाओं पर आधारित वार्ता और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन के अंतर्गत इस महोत्सव में विभिन्न संस्कृतियों के लोग अपनी कला और संस्कृति का प्रदर्शन करते हैं।
 
यह महोत्सव लोगों को एक बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। अगर आप आध्यात्मिकता में रुचि रखते हैं और जीवन को एक नए नजरिए से देखना चाहते हैं, तो ओशो महोत्सव आपके लिए एक शानदार अवसर हो सकता है। अत: इसमें सम्मिलित होकर आप स्वयं को ऊर्जावान बना सकते हैं और तनावभरे जीवन से मुक्ति पाकर खुशहाल रह सकते हैं। 
 
आपको बता दें कि रजनीश 'ओशो' का निधन 19 जनवरी 1990 को महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था। और अपने जीवन के अंतिम समय में वे पुणे शहर के कोरेगांव पार्क स्थित अपने मेडिटेशन रिसॉर्ट में रह रहे थे। और उनके महाप्रयाण के दिन को ओशो महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

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