पंचसखा panchasakha: ओडिशा में प्रसिद्ध पांच संत हुए हैं जो आपस में मित्र थे। उन्हें ही ओडिशा में पंचसखा कहा जाता है। उड़ीसा के आध्यात्मिकता और साहित्य पंचसखा सिद्ध पांच मित्रों में से एक थे संत अच्युतानंद जिननकी भविष्य मालिका वर्तमान में बहुत प्रचलित है। इन पंच सखाओं ने ओडिशा के लोगों के लिए प्राचीन हिंदू संस्कृत ग्रंथों आयुर्वेद, योग, तंत्र, अनुष्ठान, कथा आदि को उड़िया भाषा में ट्रांसलेट किया था। कहा जा रहा है कि संत अच्युतानंद चैतन्य महाप्रभु के भी मित्र थे। पंच सखाओं के नाम- 1. अच्युतानंद दास, 2. अनंत दास, 3. जसवंत दास, 4. जगन्नाथ दास और 5. बलराम दास।
कौन है अच्युतानंद ( Who is Achyutananda das ) : कहा जाता है कि अच्युतानंद दास जी भगवान जगन्नाथ के परमभक्त, कवि, दृष्टा और वैष्णव संत थे। उनके काल को विद्वानों द्वारा 1480 और 1505 के बीच कहीं माना है। उनकी माता का नाम पद्मावती और पिता का नाम दीनबंधु खुंटिया था। उनके दादा गोपीनाथ मोहंती जगन्नाथ मंदिर में एक मुंशी थे। अच्युतानंद का जन्म उड़ीसा के कटक जिले के तिलकाना नाम के एक गांव में हुआ था। कहते हैं कि अच्युतानंद महाराज जन्म से गोपाल यादव थे।
भविष्य मालिका ( Bhavishya malika Book) : संत अच्युतानंददास जी ने कई विषयों पर किताबें लिखी है। लोगों का मानना है कि उन्होंने अपनी सभी पुस्तकें अपनी योग शक्ति से लिखी है। कहा जाता है कि उड़ीसा में एक लाख मालिका की पुस्तकें हैं जिनके अलल अलग विषय और नाम हैं। लेकिन इस समय कुछ सैंकड़ों पुस्तकों की ही जानकारी लोगों को है। हालांकि यह सभी पुस्तकें जगन्नाथ पुरी के महंतों के अधिकार में है। कहा जा रहा है कि वे इन पुस्तकों को हर किसी को नहीं दिखाते हैं।