सत्य साईं के अनुसार- 'कोई भी धर्म बेहतर या कोई भी धर्म खराब नहीं रहता अत: हमें सभी धर्मों का एक समान सम्मान करना चाहिए। ईश्वर केवल एक ही है, उसके नाम अलग-अलग हो सकते हैं।' वे कहते थे हमें जरूरतमंद व्यक्तियों एवं रोगियों की सेवा बिना किसी लालच के साथ करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में सत्य, प्रेम, शांति, अच्छी सोच एवं अहिंसा आदि नैतिक मूल्यों का हमेशा पालन करना चाहिए।