स्वामी विवेकानंद के पिता श्री विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एक गृहणी और शिवभक्त थी। 1884 में पिता के निधन के बाद घर की आर्थिक दशा, संपत्ति विवाद और भूख से विवेकानंद लगभग टूट गए थे। परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी की चिंता सता रही थी। उनके पास विवाह के कई प्रस्ताव आए लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। एक धनवान महिला ने भी प्रस्ताव रखा और कहा कि आर्थिक तंगी दूर हो जाएगी। लेकिन विवेकानंद को यह दहेज लेने जैसा लगा। उन्होंने मना कर दिया। मां ने भी उनका समर्थन किया। उनका मन अध्यात्म की ओर मुड़ गया था। बाद में रामकृष्ण परपहंस ने उन्हें संभाला।