मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ई रिक्शा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। भोपाल में स्कूली बच्चों को लाने व घर छोड़ने में हो रहे ई रिक्शा के उपयोग अब नहीं हो सकेगा। लेकिन इंदौर में ई रिक्शा न सिर्फ स्कूली बच्चों की जान से खिलवाड कर रहे हैं, बल्कि इंदौर के ट्रैफिक को बदहाल करने में भी सबसे ज्यादा हाथ ई रिक्शा का ही है।
बता दें कि इंदौर में कई स्कूल नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। दिल्ली पब्लिक स्कूल हादसे के बाद स्कूली बसों में ई गर्वनर लगाने, सीट बेल्ट लगाने, खिड़की को जाली से कवर करने जैसे नियमों को लेकर सख्ती बरती गई, हालांकि अब भी कई स्कूल वाहन ऐसे हैं,जो नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, उस पर ई रिक्शा चालकों ने ट्रैफिक को और ज्यादा बदहाल कर दिया है।
बता दें कि इंदौर के कई बड़े स्कूलों के पास अपना खुद का ट्रांसपोर्ट सिस्टम है। वे बच्चों को बसों से स्कूल और घरों से लाना और छोड़ने का काम करते हैं, लेकिन कई छोटे स्कूलों में परिवहन के लिए स्कूली रिक्शा, वैन व अन्य वाहन अटैच हैं। मुनाफे के चक्कर में कई चालकों ने ई रिक्शा खरीद रखे है और उसमें बच्चों को ढोया जाने लगा है। हाल ही में इंदौर में संभागायुक्त दीपक सिंह ने ई रिक्शा का किराया निर्धारित करने का निर्णय लिया, लेकिन फिर भी मनमाना किराया इंदौर में वसूला जा रहा है।
क्यों डैंजर हैं इंदौर के ई रिक्शा : बता दें कि ई रिक्शा का ढांचा मजबूत नहीं है। उसके कई भाग खुले रहते है। दरवाजे भी ज्यादातर ई रिक्शा में नहीं लगे रहते है। हादसे के समय चोट लगने का खतरा ई रिक्शा में ज्यादा रहता है। ज्यादातर ई रिक्शाओं में घटिया बैटरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे ब्रिज व चढ़ाई वाले हिस्सों में ई रिक्शा बड़ी मुश्किल से आगे बढ़ पाते है। ऐसे में हादसों का खतरा बना रहा है। ई रिक्शा का सस्पेंशन कमजोर रहता है। खराब सड़क व स्पीड ब्रेकर में कमर में जर्क लगने का खतरा रहता है। इसके अलावा झटके से रिक्शा से बाहर गिरने का खतरा भी बना रहता है।
Edited By: Navin Rangiyal