पहली कक्षा के बच्चों ने जनक दीदी के साथ हेल्दी फूड का सही मतलब सीखा

इंदौरी जायका सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रचलित है। लेकिन इस फास्ट फूड की जनरेशन में हेल्दी खाने के महत्व को समझना ज़रूरी है। खासकर हेल्दी फूड का महत्व छोटे बच्चों को बताना ज़रूरी है ताकि वे छोटी उम्र से ही स्वच्छ खाने की महत्वता को समझ सकें।
 
ऐसे ही इंदौर शहर के चोईथराम इंटरनेशनल स्कूल के प्रथम ग्रेड के बच्चे जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की डायरेक्टर और पद्मश्री डॉ जनक पलटा मगिलिगन से हेल्थी फूड; हेलथी लाइफ प्रैक्टिकल सीखने आए। 
 
बस में बैठ, सारे बच्चे शहर के ट्रैफिक में से निकल कर सनावादिया पहुंचे। सेंटर पहुंचते ही उन्होंने हरे-भरे लहलहाते, स्वच्छ खेत से टेकरी पर चलते विंड मिल को देखते-देखते उपर पहुंचे। डॉ जनक पलटा मगिलिगन ने अपना परिचय दिया और बच्चों का स्वागत कर उन्हें अपने पूरे फार्म, सोलर किचन, फूड देने वाले सभी प्रकार के पेड़, पौधे दिखाए। 
इसके बाद बच्चों को हेल्दी फूड का महत्व समझाया। उन्हें बताया कि हेल्दी फूड, सब्जियां और फल बिना केमिकल के, देसी बीजों से उगाए जाते हैं और ये प्लास्टिक में पैक नहीं होते हैं। हेलथी फूड से हेलथी लाइफ यानी ऐसा भोजन जिससे हमारा शरीर, मन और आत्मा स्वस्थ रहते हैं। 
 
साथ ही बच्चों को बताया कि कभी भी खाना वेस्ट नहीं करना, प्लास्टिक की बोतल में पानी, कोल्ड ड्रिंक नहीं पीना चाहिए। डॉ जनक पलटा ने अपना स्टील का ग्लास, बोतल और कपड़े का रुमाल भी दिखाया। साथ ही उन्होंने अपने घर में जैविक और सोलर कुकर पर पकाया भोजन भी दिखाया। इस भोजन में नेचुरल पीनट बटर, नींबू का शरबत, शहतूत का जैम शामिल था जो बच्चों ने बहुत चाव से खाया।
 
इसके बाद टेबल पर रखे मूली, सरसों पालक की भाजी, तुलसी, मीठी नीम, सहजन की फलियां, गिलकी, हल्दी, मसाले, फल-फूल और कई औषधीय पौधे भी बच्चे को बताए जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखे थे। सोलर ड्राई हल्दी की छोटी गोली देखी तो बच्चों ने उसे चॉकलेट समझा। ये सभी फूड आइटम बच्चों को बेहद रोचक लगे।

इंटरनेशनल स्टेंडर्ड पढ़ने वाले, पढ़ाने वाले, माता-पिता को भारतीय/देसी फूड या लाइफस्टाइल सिखाने में रुचि नहीं है या उन्हें जरूरत नहीं लगती। पाठ्यक्रमो में लोकल सब्जियों और फल के नाम नहीं है। लेकिन भारतीय शिक्षा नीति में स्कूल और कालेज में बच्चों को प्रैक्टिकल के लिए तमाम जगह भेजा जाता है। इस प्रैक्टिकल की मदद से बच्चों को भारत की देसी लाइफस्टाइल के बारे में जानने को मिला। 
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