इंदौर में होली और रंगपंचमी पर गेर निकली है जो कि दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस गेर को देखने के लिए देश के कोने कोने से लोग आते हैं, खासकर वे जिनके रिश्तेदार इंदौर में रहते हैं। होलिका दहन के बाद धुलेंडी और उसके बाद रंगपंचमी पर इंदौर में गेर निकालने की परंपरा है। यह परंपरा वर्षों पुरानी है। दूर दूर से लोग इस गेर को देखने और इसमें शामिल होने के लिए लोग आते हैं। जिस तरह ब्रज की लट्ठमार होली पसंद है उसी तरह इंदौर सहित संपूर्ण निमाड़ और मालवा की गेर प्रसिद्ध है।
2. मालवा और निमाड़ के ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत गेर निकाले जाने का इतिहास रहा है।
3. इंदौर में कई संस्थाएं गेर का आयोजन करती हैं और सभी गेरें राजबाड़ा क्षेत्र में एकात्रित होती हैं।
4. गेर निकालने की परंपरा होलकर राजवंश के लोगों ने प्रारंभ की थी।
5. होलकर राजवंश के लोग आम जनता के साथ होली खेलने के लिए सड़कों पर निकलते थे।
6. वे एक जुलूस की शक्ल में पूरे शहर में भ्रमण करके लोगों के साथ होली खेलते थे।
7. राजवंश का शासन खत्म होने के बाद भी यह परंपरा कायम रही। अब नेता लोग, समीतियां, और संस्थाएं गेर निकालती हैं।