यह अपनी तरह का 33वां साल है, जब जनक दीदी ने इस कार्यक्रम को फिर एक बार दोहराया। वे कहती हैं कि "हम सभी सनावदिया स्थित जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपेमेंट पर दोपहर 3 बजे जमा हुए और वहां से रेणुका टेकरी के लिए रवाना हुए। यहां आकर सभी ने 500 शहतूत के पौधे लगाए। सभी के मन में उस बगीचे की परिकल्पना थी जो इन पौधों के बड़े होने पर बन जाएगा। जिसका लाभ आगे आने वाली पीढ़ी उठाएगी।"
इस प्रजाति के पौधे लगाने की शुरुआत जनक दीदी के पति जिम्मी मगिलिगन ने 30 साल पहले बरली कैम्पस से की थी। उनकी याद में इन पौधों को यहां भी 2011 लाया गया। तब से ही इनका आनंद स्थानीय लोगों को मिल रहा है। इन पेड़ों से 500 कलमें तैयार कर TGROW (टीजीआरओडब्लू ) के सतीश शर्मा को दिए गए ताकि इनका रोपण रेणुका टेकरी पर किया जा सके। उन्होंने ही बहुत प्रेम से इनके पौधे तैयार किए हैं।