देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव के सामाजिक कार्यक्रम में कानून की धज्जियां उड़ाई गईं। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने पुरातत्व विभाग के अधीन आने वाले लालबाग में नार्मदीय ब्राह्मण समाज के दो दिनी समागम का आयोजन किया। इसमें पहले दिन रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में ध्वनि प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुलकर धज्जियां उड़ाई गईं। रात्रि 12 बजे बाद तक तेज आवाज में लाउड स्पीकर चलते रहे। इसे लेकर नागरिकों और छात्रों में रोष था।
सवालों के घेरे में पुलिस-प्रशासन का मौन : देर रात तक कार्यक्रम में तेज आवाज में लाउड स्पीकर बजाए गए। तेज बजते लाउड स्पीकर में गायक अपनी प्रस्तुति दे रहे थे। इसे लेकर आसपास के रहवासियों और छात्रों ने इसे लेकर रोष जताया। ऐसा लगता है कानून के मखौल को लेकर प्रशासन और पुलिस ने भी मौन धारण कर लिया था। छात्रों ने बताया कि तेज ध्वनि उनकी पढ़ाई के लिए बाधा बन रही है।
क्या बोले महापौर : रात को 12.50 मिनट पर जब वेबदुनिया प्रतिनिधि ने कार्यक्रम खुद जाकर महापौर पुष्यमित्र भार्गव से जाकर पूछा कि कार्यक्रम कब तक चलेगा। इससे आसपास के रहवासी और छात्र परेशान हो रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि यह आखिरी प्रस्तुति है। महापौर खुद इस कार्यक्रम में परिवार के साथ बैठे हुए थे। गायकों की प्रस्तुति पर युवा थिरक रहे थे। मंच पर गायक नियम कानूनगों प्रस्तुति दे रहे थे, लेकिन कार्यक्रम में ध्वनि प्रदूषण को लेकर नियम और कानून का कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा था।
ध्वनि प्रदूषण पर क्या है कोर्ट का आदेश : सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई 2005 को ध्वनि प्रदूषण पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा था कि देश के हर व्यक्ति को शांति से रहने का आधिकार है, जो उसके जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा है। कोर्ट ने उस समय साफ किया था कि लाउडस्पीकर या तेज आवाज में अपनी बात कहना भले ही अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के अंतर्गत आता हो, लेकिन यह किसी के जीवन के अधिकार से ऊपर नहीं हो सकता।
क्या कहता है ध्वनि प्रदूषण अधिनियम : ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) कानून-2000 के मुताबिक रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर और डीजे बजाने पर पाबंदी है। राज्य सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह कुछ शर्तों के साथ रात 12 बजे तक लाउडस्पीकर और डीजे बजाने की इजाजत दे सकती है। लेकिन रात के 12 बजे के बाद किसी को भी लाउडस्पीकर या डीजे बजाने की इजाजत नहीं है। ऐसा करना गैर कानूनी है यानी अपराध की श्रेणी में आता है। इस बारे में राष्ट्रीय हरित अधिकरण यानी NGT यह कह चुका है कि एक तय सीमा से तेज लाउडस्पीकर और डीजे बजाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा था जवाब : अक्टूबर 2024 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार से ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिका पर जवाब मांगा था। राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी इस पर संज्ञान लिया था। याचिका जबलपुर स्थित नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ गोविंद प्रसाद मिश्रा, सेवानिवृत्त मुख्य वन संरक्षक आरपी श्रीवास्तव, पूर्व कार्यपालक अभियंता (सिंचाई विभाग) केपी रेजा और सेवानिवृत्त सहायक भूविज्ञानी वाईएन गुप्ता सहित कई लोगों द्वारा दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में अपील की थी वे प्रतिवादियों को मध्यप्रदेश में ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दें।
ध्वनि प्रदूषण को लेकर क्यों नहीं जागरूकता : इंदौर की पहचान देश के सबसे स्वच्छ शहरों में होती है, लेकिन ऐसा लगता है कि ध्वनि प्रदूषण के प्रति पुलिस और प्रशासन गंभीर नहीं है। आए दिन लालबाग में होते आयोजनों में तेज लाउड स्पीकर बजाए जाते हैं। किसी भी नेता के जन्मदिन के उत्सव में तेज आवाज के पटाखे जलाए जाते हैं। वे इस बात से अनजान रहते हैं कि उनकी खुशी दूसरों के लिए दुखदाई बन रही है। ऐसे में जरूरी है कि पुलिस और प्रशासन भी इस ओर ध्यान दे आयोजनों में कोर्ट की गाइडलाइन का ध्यान रखा जाए, जिससे नागरिकों को कोई परेशानी न हो।