संस्कृत भारती मालवा के प्रबोधन वर्ग का समापन समारोह संपन्न
बुधवार, 14 मई 2025 (19:33 IST)
Sanskrit Bharti ceremony : किसी भी भाषा की जीवंतता केवल ग्रंथों में नहीं, बल्कि उसके प्रचार-प्रसार, शिक्षण और व्यावहारिक उपयोग में होती है। आज संस्कृत भाषा की मांग सर्वत्र है, बस आवश्यकता है उसके प्रचार प्रचार करने वाले कार्यकर्ताओं की। संस्कृत कार्य दैवीय कार्य है और इस कार्य को जो मन लगाकर और साधना से करते हैं, वे ही कार्यकर्ता कहलाते हैं। निष्ठा, समर्पण ही सच्चे कार्यकर्ता की पहचान है। उक्त विचार संस्कृत भारती के मध्य क्षेत्र संयोजक (मप्र छत्तीसगढ़) भरत बैरागी ने प्रकट किए। वे संस्कृत भारती मालवा प्रान्त के प्रबोधन वर्ग के समापन अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि संस्कृत कोई मात्र भाषा नहीं है- यह भारत की आत्मा है, हमारी संस्कृति की मूलधारा है और हमारे ज्ञान-विज्ञान की आधारभूमि है। यह वह भाषा है जिसमें वेदों की ऋचाएं गूंजीं, उपनिषदों की विचारधारा जन्मी, और महर्षियों का अमृतवाणी स्वरूप हमारे सम्मुख प्रकट हुआ।
भरत बैरागी में संस्कृत के लिए अपने विचार प्रकट किया। उन्होंने बताया यदि आज हमने आने वाली पीढ़ी को संस्कृत की राह नहीं दिखाई तो आने वाले समय में हम गीता और रामायण को भी भूल जाएंगे।
सारस्वत अतिथि के रूप में वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ. विनायक पाण्डेय ने कहा कि संस्कृत कार्यकर्ता वह होता है जो न केवल इस भाषा को पढ़ता और पढ़ाता है, बल्कि उसे जीता है। वह श्लोकों को केवल दोहराता नहीं, उनके अर्थों को समाज में उतारता है। वह परंपरा का वाहक होता है, पर साथ ही नवाचार का पथप्रदर्शक भी होता है।
ऋग्वेद में कहा गया है- "संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्" अर्थात् "हम सब मिलकर चलें, एकसाथ बोलें और समान मन से विचार करें।" यह संदेश आज के संस्कृत कार्यकर्ता के लिए भी उतना ही प्रासंगिक है। आज आवश्यकता है ऐसे कर्मशील, जागरूक और संवेदनशील कार्यकर्ताओं की जो संस्कृत को केवल मंच तक सीमित न रखें, बल्कि समाज के हर वर्ग तक पहुंचाएं।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अल्पाइन पब्लिक विद्यालय के निदेशक कमलेश चौहान थे। अध्यक्षता मालवा प्रांत संस्कृत भारती की अध्यक्ष श्रीमती सीमा जिंदल ने की।
17 जिलों से 50 वर्गार्थियों ने प्राप्त किया प्रशिक्षण
प्रान्त मंत्री सुरेंद्र शर्मा और प्रचार प्रमुख अभिषेक पाण्डेय ने बताया कि संस्कृत भारती मालवा प्रान्त द्वारा संस्कृत संभाषण शिक्षण से संबंधित प्रबोधन वर्ग का आयोजन गत 7 मई से किया जा रहा है। यह पूर्णतः आवासीय वर्ग था। इसमें मालवा प्रान्त के सत्रह जिलों से चयनित 50 वर्गार्थियों ने संस्कृत शिक्षण प्राप्त किया। वर्ग का वातावरण पूर्णत: संस्कृतमय था, जो अपने आप में आश्चर्य की बात थी। वर्ग में न केवल पचास विद्यार्थियों ने अपितु समीपस्थ क्षेत्र से अन्य लोगों ने भी शाम को दो घंटे आकर संस्कृत संभाषण सीखी।
कार्यक्रम का प्रास्ताविक भाषण मुख्य शिक्षक गजानन प्रजापति ने किया। संचालन वर्ग के छात्र केशव और तेजस्वीनी द्वारा किया गया। सर्वप्रथम मंगलाचरण के द्वारा कार्यक्रम का आरंभ किया गया। मोक्षा कुमारी ने ध्येयमंत्र गाकर कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। इसके बाद कुमारी आरोही ने वर्ग के स्वयं के अनुभव सभी के साथ साझा किए। अब समय था नाटक मंचन का। कार्यक्रम में वर्ग के छात्रों द्वारा लघु नाटक का मंचन किया गया जिसका नाम था "दृष्ट्वा दृष्ट्वा"।
इसके बाद श्रीमती बबीता जी ने एक मधुर गीत गाकर कार्यक्रम को मधुरता प्रदान की। अतिथि स्वागत प्रान्त बालकेंद्र प्रमुख श्रीमती स्नेहलता शर्मा, प्रशिक्षण प्रमुख प्रवेश वैष्णव, देवास विभाग संयोजक कृष्णकांत शर्मा, खरगोन विभाग संयोजक चेतन गोयल, अभिषेक पाण्डेय आदि ने किया। इंदौर विभाग संयोजक योगेश शर्मा ने कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों और संस्कृत प्रेमियों का आभार माना और वर्ग की छात्रा दिव्या ने एकता मंत्र गाकर कार्यक्रम को विराम दिया।
कार्यक्रम में एक संस्कृत प्रदर्शनी भी आयोजित की गई थी, इस प्रदर्शनी में संस्कृत की महत्ता को बड़े रोचक तरीके से दिखाया गया था। इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता हेमंत मुंगी, संजय कसेरा, नीरज मंगल, श्रीमती ललिता चौधरी, मुक्ति शर्मा, विशाल गोस्वामी, राहुल भरते, राधिका व्यास, मुलेश कनेश इत्यादि उपस्थित रहे।