सस्टेनेबल डेवलपमेंट वीक 2019 के छठे दिन डेली कॉलेज में क्लाइमेट चेंज पर हुई बातें

जिमी मगिलिगन मेमोरियल वीक के तहत 15 अप्रैल से जारी गतिविधियों में सस्टेनेबल डेवलपमेंट को लेकर एक सिंपोजियम डेली कॉलेज में रखी गई। इसका विषय सस्टेनेबल सॉल्यूशंस फॉर क्लाइमेट चेंज चैलेंजेस था, शनिवार को आयोजित इस कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ. जनक पलटा ने अपनी, अपने जीवनसाथी जिमी और बरली ग्रामीण संस्थान की अब तक की यात्रा को केंद्र में रखा।
 
उन्होंने बताया की हमारी भूलों के चलते प्रकृति पर पड़ रहे बुरे असर को हम तभी खत्म कर सकते हैं जब हम तय करें कि हमारे सभी काम सस्टेनेबल होंगे। उन्होंने अपने जमीनी अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि हमारे पास सौर ऊर्जा जैसा अक्षत भंडार है जो पूरी तरह प्राकृतिक भी है। इसका उपयोग यदि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए किया जा सके तो सार्थकता कई गुना होगी। 
उन्होंने अलीराजपुर से लेकर झाबुआ तक के सुदूर अंचलों में आदिवासियों के बीच ऐसे साधनों की उपयोगिता के अपने अनुभव साझा किए। जिमी मगिलिगन के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने समय से पहले और बिना ज्यादा पढ़ाई के भी ऐसे व्यावहारिक उपायों पर काम किया, जो आने वाले समय में जरुरत बन जाएंगे। इसके बाद इस विषय पर बोलने आए बड़ोदरा के दीपक गढ़िया ने न सिर्फ सोलर एनर्जी के तकनीकी पक्षों के बारे में समझाया बल्कि यह भी बताया कि इसे लेकर किस तरह नित नए प्रयोग किए जा रहे हैं और कैसे वे सीधे हमारे समाज के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। 
गढ़िया ने तिरुपति और शिर्डी में हजारों लोगों के लिए बने सोलर किचन से लेकर एक छोटे से गांव में अंतिम संस्कार के लिए बनवाए गए सोलर स्ट्रक्चर तक की जानकारी रोचक अंदाज में दी। लगभग 850 छात्र छात्राओं के बीच बोलते हुए दोनों ही वक्ताओं ने क्लाइमेट चेंज में अपनी आदतों में थोड़े बदलाव को महत्वपूर्ण बताया। डेली कॉलेज के प्रिंसिपल नीरज बेढ़ोतिया ने छात्रों से पूरे कार्यक्रम के मुख्य बिंदुओं को लेकर सवाल जवाब किए और इस बात पर बताया कि किस तरह यह संस्थान प्रकृति सहित सभी संसाधनों के उपयोग को लेकर सजग है। जंगल पानी और सामाजिक स्वास्थ्य को लेकर किए जा रहे डेली कॉलेज के प्रयासों की भूमिका रखते हुए उन्होंने सोलर एनर्जी को लेकर गहन उत्सुकता प्रकट की।

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