पत्रकारिता हो या राजनीति, सभी क्षेत्रों में गिरावट आई : विजयवर्गीय

गुरुवार, 14 अप्रैल 2022 (18:30 IST)
इंदौर। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि चाहे पत्रकारिता हो या राजनीति गिरावट सभी क्षेत्र में आई है। इस गिरावट से उबरने और संभलने का दायित्व भी हमारा ही है। वरिष्ठ पत्रकार जगदीश चंद्र कातिल ने कहा है कि मीडिया के समक्ष पैदा हुए आर्थिक संकट को दूर करने के लिए यह आवश्यक है कि प्रधानमंत्री के द्वारा पत्रकार पुनर्वास फंड बनाया जाए। वेबदुनिया इस आयोजन का डिजिटल मीडिया पार्टनर है।
 
स्टेट प्रेस क्लब मध्य प्रदेश के द्वारा आयोजित तीन दिवसीय पत्रकारिता महोत्सव के शुभारंभ के अवसर पर अतिथियों ने 'मीडिया कल आज और कल' विषय पर संवाद करते हुए व्यक्त किए। विजयवर्गीय ने कहा कि यह आयोजन स्वर्गीय राजेंद्र माथुर, स्वर्गीय राहुल बारपुते, स्वर्गीय प्रभाष जोशी, स्वर्गीय माणकचंद वाजपेई और स्वर्गीय शरद जोशी की स्मृति में हो रहा है। यह सभी इंदौर के थे। मैं इस समय यह सोच रहा हूं कि पत्रकारिता में इनके जैसा आने वाले कल का चेहरा कौन होगा? 
 
इंदौर वह शहर है जो पत्रकारिता की पाठशाला हुआ करती थी। अब इस शहर की पाठशाला समाप्त हो गई है। क्या हमें कभी भविष्य में राजेंद्र माथुर मिलेंगे? उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का पहले अलग तेवर हुआ करता था। समाज के विकास में पत्रकारिता की प्रमुख भूमिका रही है। अब पत्रकारिता का वजन हल्का हो रहा है। हमें यह सोचना होगा कि यह वजन एक बार फिर भारी कैसे हो?
 
उन्होने कहा कि जहां तक गिरावट की बात है तो केवल पत्रकारिता मे ही नहीं बल्कि मैं स्वीकार करता हूं कि राजनीति में भी गिरावट आई है। इस गिरावट को रोकने के लिए हमें बहुत कुछ करने की जरूरत है। विजयवर्गीय ने कहा कि आज पूरे विश्व की राजनीति में भारत की ताकत बढ़ गई है। दो देशों के बीच हो रहे युद्ध में हमारे देश का झंडा लेकर हमारे देश के नागरिक निकल कर आते हैं और उन पर कोई हमला नहीं होता है। और तो और हमारे दुश्मन देश के नागरिक भी हमारा झंडा लेकर सुरक्षित निकल कर आते हैं। उन्होंने कहा कि गंगा मैली हो गई है, लेकिन गंगोत्री से अभी आशा है। हमें पवित्रता हर क्षेत्र में लाना है। आज यह जरूरी है कि हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को पवित्रता से निभाएं। 
केंद्र सरकार बनाए पत्रकार पुनर्वास फंड : कातिल वरिष्ठ पत्रकार एवं आईएएस की नौकरी से इस्तीफा देकर पत्रकारिता करने वाले जगदीश चंद्र कातिल ने कहा कि हम अपनी जिम्मेदारी से विमुख हो गए हैं। आज हमारे कामकाज में जनता की भागीदारी और रुचि कम हो गई है। इस विषय पर हमें आत्मचिंतन करना होगा। आज पत्रकारिता करने वाले लोगों के दोस्तों की संख्या ज्यादा हो गई है। डिमांड-सप्लाई का अंतर बिगड़ गया है। इस समय देशभर में स्वयंभू पत्रकार डिजिटल मीडिया के माध्यम से उभरकर आ गए हैं। पत्रकारिता में हमने अपने नैतिक अधिकार का उपयोग प्रेशर प्रैक्टिस के रूप में इस तरह से किया कि हमारा भय समाप्त हो गया।
 
उन्होंने कहा कि इस समय पत्रकारिता के समक्ष आर्थिक संकट पैदा हो गया है। हमें यह सोचना होगा कि हम अपने आपको प्रासंगिक कैसे बनाएं? किस तरह से एक बार फिर विश्वास को हासिल करें। पत्रकारिता के क्षेत्र में आई आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए प्रधानमंत्री को चाहिए कि वे देश में पत्रकार पुनर्वास फंड घोषित करें।
 
निष्पक्ष, निर्भीक पत्रकारिता मुश्किल : इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता में इंदौर सबसे बड़ा घराना है। इस शहर के कई पत्रकार ऐसे हैं, जिनका पत्रकारिता पर बहुत बड़ा कर्ज है। आज जरूरत इस बात की है कि हम पत्रकारिता के समक्ष पैदा हुई चुनौतियों का मुकाबला करें। हमें यह सोचना होगा कि हमने जो सीखा क्या हम नई पीढ़ी को वह दे पा रहे हैं? वर्तमान में सियासत ने काफी स्थिति बिगाड़ी है। इस समय पर निष्पक्ष, निर्भीक और स्वस्थ पत्रकारिता करना मुश्किल हो गया है।
 
पत्रकार प्रहरी नहीं दरबारी बने : मुंबई के वरिष्ठ पत्रकार हरीश पाठक ने कहा कि बीते कल की पत्रकारिता को स्वर्ण काल कहा जा सकता है। उस समय पत्रकारिता के तेवर, फ्लेवर और कलेवर की आज कल्पना भी नहीं की जा सकती है। स्वतंत्रता के समय तक पत्रकारिता के समक्ष देश की आजादी का लक्ष्य था, लेकिन उसके बाद हम अपनी भूमिका सही तरीके से नहीं निभा सके हैं। हमें जनता के प्रहरी का काम करना था, लेकिन हम दरबारी बन गए। अखबारों में संपादक की सत्ता एक बड़ी ताकत थी। अब तो संपादक की कुर्सी के पास में मैनेजर को बैठाया जाता है। हम अपनी साख और प्रतिष्ठा को खो रहे हैं।
 
पत्रकारिता का संक्रमण काल : वरिष्ठ पत्रकार राकेश पाठक ने कहा कि पत्रकारिता का दायित्व दिशा दिखाना और संकेत देना होता है। आज हम अपने स्वार्थ और भय के कारण सच नहीं कह पाते हैं। अतीत में हमने दायित्व निभाया था। इस समय पत्रकारिता संक्रमण काल से गुजर रही है। उसका अवमूल्यन हुआ है। हम परम पवित्र नहीं हैं। जीवन का हर क्षेत्र पतन की ओर अग्रसर है। पाठक ने कहा कि 1925 में हुए संपादकों के पहले सम्मेलन में पराड़कर जी ने कहा था कि अब अखबार रंगीन होंगे, आकर्षक होंगे लेकिन उनमें पत्रकारिता की आत्मा नहीं होगी। यह बात आज सही साबित हो रही है। आज पत्रकारिता समाप्त होने की कगार पर है।
 
भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने कहा कि जब भी समाज को दिशा देने और आईना दिखाने की जरूरत आई तो पत्रकारिता ने यह काम किया है। कोविड-19 पर पत्रकारों के द्वारा निर्भीकता के साथ जो काम किया गया वह सराहनीय है।
अतिथियों का स्वागत मनोहर लिंबोदिया, कमल कस्तूरी, संदीप सिंह सिसोदिया, रचना ज़ौहरी, सत्यजीत शिवणेकर, कीर्ति राणा और प्रवीण धनोतिया ने किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह सुदेश तिवारी, सोनाली यादव, अजय भट्ट, शीतल राय, आकाश चौकसे, विवान सिंह, प्रभात जैन ने दिए। सम्मेलन के प्रारंभ में स्टेट प्रेस क्लब मध्य प्रदेश के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने स्वागत उद्बोधन दिया। संयोजक सुदेश तिवारी ने महोत्सव की जानकारी दी। वरिष्ठ उपाध्यक्ष घनश्याम पटेल ने स्टेट प्रेस क्लब के बारे में जानकारी दी। राष्ट्रीय समन्वयक संजीव आचार्य ने आयोजन के पिछले 14 वर्षों के सफर की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन नवनीत शुक्ला ने किया। इस अवसर पर पूर्व विधायक जीतू जिराती भी मौजूद थे।
 
मीडिया अवार्ड से सम्मान : समारोह में शहर के पत्रकारों का मीडिया अवार्ड के माध्यम से सम्मान भी किया गया। हर समाचार पत्र, न्यूज़ चैनल, यूट्यूब चैनल और वेबसाइट पर बेहतर काम करने वाले पत्रकारों को अतिथियों के द्वारा मीडिया अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। रवीन्द्र नाट्य ग्रह के खचाखच भरे हाल में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच पत्रकारों को सम्मानित किया गया।
 
गीता भेंट कर अतिथियों का स्वागत : स्टेट प्रेस क्लब के इस आयोजन में अतिथियों के स्वागत की परंपरा में नवाचार किया गया। कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आए अतिथियों को स्वागत में गीता प्रदान की गई।
 
छायाचित्र प्रदर्शनी शुरू : पत्रकारिता महोत्सव के दौरान प्रीतमलाल दुआ सभागृह की कलावीथिका में तीन दिवसीय छायाचित्र प्रदर्शनी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी में मध्यप्रदेश के तीज-त्योहार पर केंद्रित छायाकारों के चित्र का प्रदर्शन किया गया है। ध्यान रहे कि स्टेट प्रेस क्लब मध्य प्रदेश के द्वारा इस विषय पर छायाचित्र प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता के विजेताओं को एक लाख रुपए के पुरस्कार दिए जाएंगे।
 
शैलेंद्र पर पोस्टर प्रदर्शनी : तीन दिवसीय पत्रकारिता महोत्सव के साथ ही प्रसिद्ध गीतकार शैलेंद्र पर केंद्रित पोस्टर्स की एक प्रदर्शनी भी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी का अवलोकन करने के लिए आज बड़ी संख्या में नागरिक पहुंचे।

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