सावित्रीबाई फुले का विवाह सन् 1840 में मात्र 9 वर्ष की उम्र में 12 वर्षीय ज्योतिराव फुले के साथ हुआ। ज्योतिबा बहुत बुद्धिमान थे, उन्होंने मराठी में अध्ययन किया। वे महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक थे।
महिला अधिकार के लिए संघर्ष करने वाली सावित्रीबाई ने विधवाओं के लिए एक केंद्र की स्थापना की और उनको पुनर्विवाह के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अछूतों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।वे भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं, उन पर दलित लड़कियों को पढ़ाने पर पत्थर और कीचड़ तक फैंके गए पर वे अपने कर्तव्यपथ से विचलित नहीं हुई।
कवयित्री के रूप में सावित्रीबाई फुले ने 2 काव्य पुस्तकें लिखीं- काव्य फुले, बावनकशी सुबोधरत्नाकर। फुले दंपति को महिला शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए 1852 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने सम्मानित भी किया।