इंदिरा गांधी के इन 5 फैसलों ने बदल दिया भारत का इतिहास
गुरुवार, 18 नवंबर 2021 (18:45 IST)
इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी। आजाद भारत की पहली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में हुआ था। परिवार में शुरू से ही राजनीतिक माहौल देखने को मिला। इस अनुसार वह भी ढलती चली गईं। आयरन लैडी कही जाने वाली इंदिरा गांधी को एक वक्त गुंगी गुडिया कहते थे। लेकिन सत्ता संभालने के बाद उन्होंने भारत की दशा और दिशा ही बदल दी। 1955 में वह राष्ट्रीय कार्यकारिणी में चयनित की गईं। इसके बाद से बड़े-बड़े लोगों के बीच उनका मिलना-जुलना, आना जाना लगा रहा। और वह राजनीति को गहराई से समझने लगी थीं। इंदिरा गांधी ने कई उपलब्धियां अपने नाम की तो कई दंश भी झेले। 1966 से 1977 तक वह लगातार 3 बार प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद 1980 से 1984 तक फिर से पीएम का पद संभाला। हालांकि 1984 में बदले की भावना से उनके अंगरक्षक ही उनके हत्यारे बन गए। इंदिरा गांधी के जयंती पर जानते हैं उनके द्वारा लिए 5 फैसले -
19 जुलाई 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण
- प्रधानमंत्री बनने के बाद इंदिरा गांधी ने कई ऐतिहासिक फैसले लिए थे। जिसमें से एक महत्वपूर्ण फैसला था बैंकों का राष्ट्रीयकरण। 19 जुलाई 1969 को इंदिरा गांधी की सरकार ने अध्यादेश पारित किया और 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। इस अहम फैसले का कारण था देश में आर्थिक समानता को बढ़ावा देना था। हालांकि वर्तमान स्थिति में निजीकरण की और रूझान अधिक बढ़ रहा है।
- पाकिस्तान के दो टुकड़े
आयरन लेडी कहें जाने वाली इंदिरा गांधी को कभी किसी का डर नहीं रहा। पाकिस्तान के दो हिस्से करने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इंदिरा गांधी से आगाह किया था कि वे ऐसा जरा भी नहीं करें। लेकिन निक्स्न को अंदाजा हो गया था कि भारत नहीं मानने वाला है। जब अमेरिका-चीन के रिश्ते अच्छे थे, तो अमेरिका ने चीन से भारत को यह कदम रोकने के लिए आग्रह किया था। लेकिन चीन ने कुछ नहीं कहा। दरअसल, दो हिस्से करने की वजह थी पाक सैनिकों के व्यवहार से तंग आकर बांग्लादेशी शरणार्थी भारत आ रहे थे। जिसका असर देश पर पड़ रहा था। ऐसे इंदिरा गांधी ने कार्रवाई नहीं करते हुए बांग्लादेश को स्वतंत्र देश बनाया। 1971 में 13 दिन के युद्ध में करीब 30 लाख लोगों की जान चली गई थी। लेकिन जब आखिरी में पाक सैनिकों ने आत्मसमर्पण तब इस युद्ध पर विराम लगा। और बांग्लादेश अलग देश के रूप में आगे की कार्रवाई के साथ स्थापित हुआ।
1974 में पोखरण परीक्षण
18 मई 1974 का दिन भारत के लिए सबसे अहम दिन है। इंदिरा गांधी ने स्माइलिंग बुद्धा के नाम से ऑपरेशन जारी किया था। वह ऑपरेशन पोखरण में परमाणु परीक्षण करके दुनिया को चौंका दिया था।
आपातकाल
1975 से 1977 तक देश में पहली बार 19 महीनों के लिए आपातकाल लगाया गया था। आपातकाल की वजह थी इंदिरा गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला। जी हां, इंदिरा के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी जिसमें 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई थी। इसके विरोध में पूरे देश में हाहाकार मच गया था। समर्थकों द्वारा हाईकोर्ट के फैसले का पुरजोर विरोध किया गया। इंदिरा के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को गिरफ्तार करने की मांग उठी। देखते ही देखते 25 जून 1975 को समूचे देश में आपातकाल लगा दिया गया। जिसे इतिहास में काला दिन के नाम से याद किया जाता है।
इंदिरा के फैसले से अंगरक्षकों ने कर दी थी हत्या
जनरल सिंह भिंडरावाले और उनके सैनिक भारत के टुकड़े करवाना चाहते थे। वह पंजाबियों के लिए अलग देश बनाना चाहते थे। जिसे खालिस्तान नाम दिया जाना था। स्वर्ण मंदिर में छिपे थे भिंडरावाले। भारतीय सैनिकों ने मुठभेड़ में उन्हें मार गिराया। उसे ऑपरेशन ब्लू स्टार नाम दिया गया था। हालांकि इस दौरान आम नागरिकों की भी जान गई थी। बाद में ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला इंदिरा गांधी की हत्या करके पूरा किया था। इंदिरा गांधी को भी अंदाजा नहीं था कि उनकी साथ चल रहें अंगरक्षक नहीं बल्कि भक्षक है।