Jayaprakash Narayan: लोकनायक जयप्रकाश नारायण के बारे में 5 अनसुनी बातें

WD Feature Desk

मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024 (12:47 IST)
Highlights 
1. jai prakash narayan biography लोकनायक जयप्रकाश नारायण जन्म कब और कहां हुआ था : भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को सिताबदियारा, सारन जिला (अब बलिया) में ब्रिटिश भारत के समय हुआ था। एक अवतार और एक मसीहा की तरह ही भारतीय समाज की समस्याओं के समाधान के लिए ही उनका जीवन प्रकट हुआ था।

राष्ट्रीयता की भावना एवं नैतिकता की स्थापना ही उनका लक्ष्य था, अत: वे राजनीति को सेवा का माध्यम बनाना चाहते थे। आपको बता दें कि इस महान नायक की जयंती और पुण्यतिथि दोनों ही अक्टूबर महीने में ही पड़ती है। उनकी जयंती 11 अक्टूबर को और पुण्यतिथि 08 अक्टूबर को मनाई जा‍ती है। 
 
2. जयप्रकाश नारायण का भारतीय राजनीति में क्या स्थान था : जयप्रकाश नारायण भारतीय राजनीति के सत्ता की कीचड़ में केवल सेवा के कमल कहलाने में ही विश्वास रखते थे। उन्होंने भारतीय समाज के लिए बहुत कुछ किया लेकिन सार्वजनिक जीवन में जिन मूल्यों की स्थापना वे करना चाहते थे, वे मूल्य बहुत हद तक देश की राजनीतिक पार्टियों को स्वीकार्य नहीं थे। क्योंकि ये मूल्य राजनीति के तत्कालीन ढांचे को चुनौती देने के साथ ही स्वार्थ एवं पद लोलुपता की स्थितियों को समाप्त करने के पक्षधर थे।

उन्होंने कहा था कि ‘भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रांति लाना, आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं अत: संपूर्ण व्यवस्था बदलकर ही व्यवस्था के परिवर्तन संभव है, जिसके लिए ’संपूर्ण क्रांति’ आवश्यक है।’
 
3. जयप्रकाश नारायण की जीवन की विशेषताएं जानें : जयप्रकाश नारायण का 14 अक्टूबर 1920 में 14 साल की प्रभावती से विवाह हुआ था, जो ब्रज किशोर प्रसाद की बेटी थीं। वे एक महान समाज-सेवक थे, जिन्हें ‘लोकनायक’ के नाम से भी जाना जाता है।

जयप्रकाश नारायण को वर्ष 1999 में मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त उन्हें समाजसेवा के लिए 1965 में मैगससे पुरस्कार प्रदान किया गया था। पटना के हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है। दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल ‘लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल’ भी उनके नाम पर है। उन्होंने वर्ष 1952 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (PSP) का गठन किया था। 
 
4. जयप्रकाश नारायण की जीवन यात्रा : जयप्रकाश जी की समस्त जीवन यात्रा संघर्ष तथा साधना से भरपूर रही। वे समूचे भारत में ग्राम स्वराज्य का सपना देखते थे और उसे आकार देने के लिए अथक प्रयास भी किए। उसमें अनेक पड़ाव आए, जिसमें उन्होंने भारतीय राजनीति को ही नहीं बल्कि आम जनजीवन को भी एक नई दिशा दी तथा नए मानक गढ़े जैसे कि- भौतिकवाद से अध्यात्म, राजनीति से सामाजिक कार्य तथा जबरन सामाजिक सुधार से व्यक्तिगत दिमागों में परिवर्तन। वे विदेशी सत्ता से देशी सत्ता, देशी सत्ता से व्यवस्था, व्यवस्था से व्यक्ति में परिवर्तन और व्यक्ति में परिवर्तन से नैतिकता के पक्षधर थे।

जयप्रकाश नारायण ने 5 जून 1974 को इंदिरा गांधी के खिलाफ 'संपूर्ण क्रांति' का नारा दिया था, जिसका आह्वान उन्होंने इंदिरा जी की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिए किया था। और इस संपूर्ण क्रांति में सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक और आध्यात्मिक ये 7 क्रांतियां शामिल हैं। और इस संपूर्ण क्रांति के कारण ही केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था।
 
5. जयप्रकाश नारायण का संघर्ष और निधन : आपको बता दें कि हृदय रोग तथा मधुमेह के कारण जयप्रकाश नारायण का निधन 08 अक्टूबर 1979 को पटना में उनके निवास स्थान पर हुआ था। देश की आजादी की लड़ाई से लेकर सन् 1977 तक अत्यधिक आंदोलनों की मशाल थामने वाले जयप्रकाश नारायण का नाम ऐसे शख्स के रूप में उभरता है, जिन्होंने अपने विचारों, दर्शन तथा व्यक्तित्व से देश की दिशा तय की थी।

वे संयम, अनुशासन और मर्यादा के पक्षधर तथा स्वभाव से अत्यंत भावुक, लेकिन महान क्रांतिकारी भी थे। अत: उनके साहस और देशभक्ति के प्रशंसक महात्मा गांधी स्वयं भी थे। ऐसे एक भारतीय राजनीतिक नेता, विचारक, समाजसेवी, स्वतंत्रता सेनानी और आंदोलनकारी को जे.पी. के नाम से भी जाना जाता है। 
 
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