लोकमान्य तिलक के प्रेरणादायी 10 अनमोल विचार

जन्म : 23 जुलाई 1856
मृत्यु : 1 अगस्त 1920
 
तिलक की मृत्यु पर महात्मा गांधी ने कहा- ‘हमने आधुनिक भारत का निर्माता खो दिया  है।’ वे पहले ऐसे कांग्रेसी नेता थे जिन्होंने हिन्दी को राष्ट्रभाषा स्वीकार करने की मांग की  थी। स्वराज को लेकर तिलक का वह कथन आज भी सारे देश में ख्यात है।
 
आइए जानते  हैं हमारे प्रिय नेता लोकमान्य गंगाधर तिलक के 10 अमूल्य विचार... 

 
* स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा। 
 
* धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं। संन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है। असली भावना सिर्फ अपने लिए काम करने की बजाए देश को अपना परिवार बनाकर मिल-जुलकर काम करना है। इसके बाद का कदम मानवता की सेवा करना है और अगला कदम ईश्वर की सेवा करना है।
 
* जीवन एक ताश के खेल की तरह है। सही पत्तों का चयन हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन हमारी सफलता निर्धारित करने वाले पत्ते खेलना हाथ में है। 
 
* अगर आप रुके और हर भौंकने वाले कुत्ते पर पत्थर फेंकेंगे तो आप कभी अपने गंतव्य तक नहीं पहुंचेंगे। बेहतर होगा कि हाथ में बिस्किट रखें और आगे बढ़ते जाएं।
 
* अगर भगवान अस्पृश्यता बर्दाश्त करता है तो मैं उसे भगवान नहीं कहूंगा।
 
* एक अच्छे अखबार के शब्द अपने आप बोल देते हैं। 
 
* यह सच है कि बारिश की कमी के कारण अकाल पड़ता है, लेकिन यह भी सच है कि भारत के लोगों में इस बुराई से लड़ने के ताकत नहीं है।
 
* भारत की गरीबी पूर्ण रूप से वर्तमान सरकार के कारण है। 
 
* आपके विचार सही, लक्ष्य ईमानदार और प्रयास संवैधानिक हों तो मुझे पूर्ण विश्वास है कि आपकी सफलता निश्चित है। 
 
* ईश्वर की यही इच्छा हो सकती है कि मैं जिस उद्देश्य का प्रतिनिधित्व करता हूं वो मेरे आजादी में रहने से ज्यादा मेरी पीड़ा में अधिक समृद्धि हो। 


ALSO READ: सच्चे जननायक बाल गंगाधर तिलक
 
- राजश्री कासलीवाल 

वंदे मातरम
 
 

 

वेबदुनिया पर पढ़ें