तुम भी ब्रह्म रूप से, बल्कि हृदय से, यही दीक्षा ग्रहण करो। मन में ऐसा दृढ़ निश्चय कर लो कि दरिद्रता अपमान नहीं है। लंगोटी धारण करने में लज्जा नहीं है, चौकी टेबल का अभाव लेशमात्र भी असभ्यता का द्योतक नहीं है। जो लोग धन-संपदा व्यवसाय, भौतिक सुख-साधनों इत्यादि की प्रचुरता को सभ्यता कहते रहते हैं। शांति में, संतोष में, मंगल में, क्षमा में, ज्ञान में, ध्यान में ही सभ्यता है।