P.V. Narasimha Rao - पी.वी. नरसिंह राव के राजनीतिक सफर के 10 रोचक तथ्य
गुरुवार, 23 दिसंबर 2021 (11:57 IST)
स्वतंत्र भारत के नौवें प्रधानमंत्री रहे पी.वी. नरसिंह राव का जन्म 28 जून, 1921 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम पामुलापति वेंकट नरसिंह राव था। हालांकि उनके इस नाम से काफी लोग अनजान थे। सब उन्हें पी. वी नरसिंह राव के नाम से ही जानते थे।
नरसिंह राव जी राजनीति के अलावा कला, साहित्य, संगीत, आदि विभिन्न क्षेत्र में भी माहिर थे। उन्हें भाषाओं में अधिक रूचि थी। वे अपनी बोलचाल में विभिन्न भाषाओं का प्रयोग करते थे। 23 दिसंबर 2004 को नरसिंह राव जी का निधन हो गया था। लेकिन उनके बारे में कई ऐसी चीजें जिनके बारे में सभी को पता होना चाहिए। आइए जानते हैं उनके बारे में 10 प्रमुख बातें -
- स्वतंत्र भारत के नौवें प्रधानमंत्री रहे पी.वी नरसिंह राव को भाषाओं में खासी रुचि थी। उन्हें भारतीय भाषाओं के साथ ही फ्रांसीसी और स्पेनिश भाषाओं का भी काफी शौक रहा। वे ये भाषाएं आराम से बोल भी सकते थे और लिख भी सकते थे।
- नरसिंह राव भारत के पहले दक्षिण भारतीय प्रधानमंत्री बनने थे। वे बेहद शांत स्वभाव के थे। बातचीत से ज्यादा काम में विश्वास रखते थे।
- 1962 से 1971 तक वह आंध्र-प्रदेश के एक विख्यात और मजबूत राजनेता रहे। 1971 से 1973 तक उन्होंने आंध्र प्रदेश की मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदेश की सत्ता संभाली।
- नरसिंह राव पूर्ण रूप से कांग्रेस के लिए समर्पित रहे। उन्होंने कांग्रेस का और खासकर इंदिरा गांधी का आपातकाल के दौरान पूर्ण सहयोग दिया। कांग्रेस के विघटन के बाद भी वे इंदिरा गांधी के साथ ही रहे। वह इंदिरा गांधी की राजनीतिक समझ और लोकप्रियता से अच्छी तरह वाकिफ थे।
- पी.वी. नरसिंह राव का अचानक से प्रधानमंत्री पद पर बैठना आसान नहीं था। हालांकि राजीव गांधी की हत्या के बाद एक योग्य पीएम की तलाश थी। वे शायद इसके लिए तैयार नहीं थे। लेकिन वरिष्ठ नेताओं के दबाव में उन्होंने पीएम का पद संभाला। पीएम पद संभालने के बाद उन्होंने देश की आर्थिक नीति की शुरुआत जिसमें देश की अर्थव्यवस्था को वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ने का प्रयास किया गया जिसमें वे सफल हुए। लेकिन विवादों से भी उनका गहरा नाता रहा।
- पी.वी नरसिंह राव का प्रधानमंत्री बनना आश्चर्यजनक रहा। लेकिन उससे भी अधिक था अविश्वसनीय था उन पर लगे आरोप। नरसिंह राव को हवाला और भ्रष्टाचार का आरोप झेलना पड़ा।
- हर्षद मेहता ने नरसिंह राव पर आरोप लगाया था कि आरोपों से मुक्त होने के लिए उन्होंने नरसिंह राव को 1 करोड़ रूपए की रिश्वत दी थी।
- इंदिरा गांधी की हत्या के पश्चात दिल्ली में दंगे भड़के उसके लिए नरसिंह राव की चुप्पी को दोषी माना गया था। उसकी उदासीनता बड़ी वजह रही। उस वक्त वह देश के गृहमंत्री थे। बाबरी मस्जिद गिराए जाने पर उन पर असफल पीएम के आरोप लगे।
- राजनीति से संन्यास लेने के बाद वह पूर्ण रूप से साहित्य में लिप्त हो गए थे। प्रधानमंत्री का सफर उनका काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा। भाषा पर अच्छी पकड़ होने से हिंदी साहित्य का अंग्रेजी और अंग्रेजी का हिंदी में अनुवाद किया।
- राजनीति से संन्यास के बाद उन्होंने उपन्यास द इनसाइडर लिखा। इसके बाद राम मंदिर और बाबरी मस्जिद पर एक पुस्तक भी लिखी थी। जिसमें उन्होंने तथ्यों और विश्लेषण के आधार पर अपनी भूमिका पूरी की।
- 9 दिसंबर, 2004 को उनकी तबीयत बिगड़ गई और एम्स अस्पताल में उन्हें दाखिल किया गया। कुछ दिन तक डॉक्टर्स की निगरानी के बाद 23 दिसंबर 2004 को उन्होंने अंतिम सांस ली।