फांसी के बाद ठाकुर रोशन सिंह के चेहरे पर एक अद्भुत शांति दृष्टिगोचर हो रही थी। मूंछें वैसी की वैसी ही थीं बल्कि गर्व से ज्यादा ही तनी हुई लग रहीं थी। उन्हें मरते दम तक बस एक ही मलाल था कि उन्हें फांसी दे दी गई, कोई बात नहीं। उन्होंने तो जिंदगी का सारा सुख उठा लिया परंतु बिस्मिल, अशफाक और लाहिडी़ जिन्होंने जीवन का एक भी ऐशो-आराम नहीं देखा, उन्हें इस बेरहम बरतानिया सरकार ने फांसी पर क्यों लटकाया?