अनाथों की मां सिंधुताई का निधन : जानिए उनके जीवन की 15 बातें

1.सिंधु ताई सपकाल को महाराष्ट्र की मदर टेरेसा कहा जाता था।
 
2.4 जनवरी 2022 को रात 8बजकर 10 मिनट पर उन्होनें दुनिया को अलविदा कह दिया...
 
3.सिंधु ताई एक ऐसी मां थीं जिनके आंचल में एक-दो नहीं, बल्कि हजारों बच्चे दुलार पाते थे।
 
4.सिंधु ताई के जीवन की कहानी बेहद दर्दनाक है, मगर उससे उबरकर उन्होंने दूसरों की जिंदगी को रोशन करने का जो जज्बा दिखाया, वह हैरान कर देने वाला है। 
 
5.महज 9 वर्ष की उम्र में उनका विवाह एक अधिक उम्र के व्यक्ति के साथ कर दिया गया। चौथे दर्जे तक पढ़ाई पूरी हो चुकी थी। 
 
6.कुछ सालों बाद आगे पढ़ने की इच्छा जताई तो ससुराल वालों का विरोध सामने आया और उन्हें घर से निकाल दिया गया। उस समय वे गर्भवती थीं।
 
7.कुछ महीने बाद एक बेटी को जन्म दिया और अगले 3 वर्ष ट्रेनों में भीख मांगकर गुजारा करते हुए बीते। 
8.बच्चे के जन्म के समय गर्भनाल स्वयं सिंधु ताई को पत्थर से तोड़ना पड़ा इससे बड़ा दुख किसी महिला की जिंदगी में क्या होगा? सिंधु ताई सपकाळ ने यह दुख भोगा और यही नहीं इसके जैसे कई दुख और भी थे।
 
9.अपने संघर्ष के दिनों में उन्हें बेटी को एक अनाथाश्रम में रखने की नौबत आ पड़ी। बेटी को छोड़ने के बाद रेलवे स्टेशन पर जब एक निराश्रित बच्चा मिला तो उनके मस्तिष्क में विचार कौंधा कि ऐसे हजारों बच्चे और भी हैं। उनका क्या होगा? इसके बाद शुरू हुआ यह अंतहीन सिलसिला जो फिर महाराष्ट्र की 5 बड़ी संस्थाओं में तब्दील हो ।
 
10.इन संस्थाओं में जहां हजारों अनाथ बच्चे (वैसे ताई की संस्था में अनाथ शब्द का उपयोग वर्जित है) एक परिवार की तरह रहते हैं, वहीं विधवा व परित्यक्ताओं को भी इनमें आसरा मिला है। ताई सबकी मां रहीं और सभी के पालन-पोषण व शिक्षा-चिकित्सा का भार उन्हीं के कंधों पर रहा।
 
11.राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय समेत करीब 200 अवॉर्ड पा चुकीं ताई ने अपने बच्चों को पालने के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने से परहेज नहीं किया। वे कहती थीं कि मांगकर यदि इतने बच्चों का लालन-पालन हो सकता है तो इसमें कोई हर्ज नहीं।
 
12.सभी बच्चों को वे अपना बेटा या बेटी मानती थीं। रेलवे स्टेशन पर मिला वह पहला बच्चा उनका सबसे बड़ा बेटा है और पांचों आश्रमों का प्रबंधन उसके कंधों पर है। अपनी सैकड़ों बेटियों का उन्होनें धूमधाम से विवाह किया और उनके परिवार में बहुएं भी हैं। उनके योगदान पर अधारित केबीसी शो खासा चर्चित हुआ था....
 
13.सिंधुताई न केवल श्रेष्ठ वक्ता थीं बल्कि वे जो भी शब्द बोलती हैं उसे पहले अनुभव की स्याही में डुबोती फिर संसार के सामने रखती। उनका सपना था अगले जन्म में भी अनाथों की सेवा करे बस उनकी भगवान से यही मांग रही कि मुझे कोई बच्चा न देना बस मेरा आंचल इतना बड़ा कर देना की अनाथ बच्चों को जरा सी धूप भी न लगे और दुःख इनसे कोसों दूर हो।
 
14.सिंधुताई मानती थीं समाजसेवा बोल कर नहीं की जाती। इसके लिए विशेष प्रयत्न भी करने की जरुरत नहीं। अनजाने में आपके द्वारा की गई सेवा ही समाजसेवा है। यह करते हुए मन में यह भाव नहीं आना चाहिए की आप समाजसेवा कर रहे हैं।
 
15.महज चौथी कक्षा तक पढ़ीं ताई जब बोलना शुरू करती तो धाराप्रवाह बोलती चली जाती। वैसे वे हिन्दी भी जानती थीं लेकिन बोलना मराठी में ही पसंद करती। अपनी मातृभाषा को वे अपने लहजे में कलेजे (दिल से निकलकर दिल तक पहुंचे) की भाषा कहती। ताई कहती थीं कि इस देश में भाषण से राशन मिलता है।

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