उसके बाद उन्होंने जमशेदपुर स्थित टिस्को में कुछ समय तक कार्य किया, और उन्हें डेयरी इंजीनियरिंग में पढ़ाई के लिए भारत सरकार की ओर से छात्रवृत्ति प्राप्त हुई। उन्होंने बेंगलुरु के इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हजबेंड्री एंड डेयरिंग में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा बाद में 1948 में अमेरिका के मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की, जिसमें डेयरी इंजीनियरिंग भी एक विषय था।