दुनिया के इस सबसे छोटे देश में ‘साइकिल’ के लिए भी लगता है ‘लाइसेंस’
रविवार, 4 अप्रैल 2021 (16:47 IST)
हमारे देश में लोग कार और बाइक भी बगैर लाइसेंस के चलाते हैं, और जब पुलिस ऐसे लोगों का चालान बनाती है तो वे अपने रिश्तेदार के विधायक या पुलिस अफसर होने का रसूख दिखाकर धौंस देते हैं।
लेकिन ठीक भारत के उलट एक ऐसा देश है जहां साइकिल चलाने के लिए भी लाइसेंस लेना होता है। इतना ही नहीं इजरायल ने लगभग समाप्त हो चुकी अपनी भाषा हिब्रू को फिर से जीवित किया। आइए जानते हैं इजरायल के बारे में।
यह देश चारों तरफ दुश्मनों से घिरा हुआ है, और दुनिया के छोटे देशों की सूची में शामिल है। बावजूद इसके यह एक शक्तिशाली देश के तौर पर जाना जाता है। हम बात कर रहे हैं इजरायल की।
इजरायल को बने आज 72 साल हो गए हैं। मध्य पूर्व में स्थित इस देश ने जितने हमलों का सामना किया है, ये उतना ही मजबूती से खड़ा भी हुआ है।
दरअसल, इजरायल की स्थापना साल 1948 में 14 मई के दिन हुई थी। जिस यहूदी धर्म के लोगों का दूसरे विश्व युद्ध में नरसंहार हुआ, उन्हें लंबे समय तक चले संघर्ष के बाद फिलिस्तीन के कब्जे से आजादी मिली थी। जिसके बाद उन्होंने एक नए स्वतंत्र देश की स्थापना की, जिसे आज दुनिया इजरायल के नाम से जानती है।
इजरायल की सबसे दिलचस्प बात ये है कि बेशक इसके गठन के बाद इसे इजरायल नाम दिया गया। लेकिन ये नाम कोई नया शब्द नहीं था। बल्कि इसका इस्तेमाल पहले से होता आया है। यहां तक कि बाइबिल में भी इजरायल शब्द का इस्तेमाल किया गया है। बाइबिल में कहा गया है कि जैकब का नाम ईश्वर के फरिश्ते के साथ युद्ध लड़ने के बाद इजरायल रखा गया था। इसके बाद से यहूदियों की धरती, उनके असली घर के तौर पर इजरायल शब्द का इस्तेमाल किया जाने लगा।
इजरायल दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जिसे आधिकारिक तौर पर यहूदी धर्म के लोगों का देश कहा जाता है। यहां की एक खास नीति भी है, जिसके तहत अगर दुनिया के किसी भी देश में कोई यहूदी बच्चा जन्म लेता है, तो उसे खुद ब खुद इजरायल की नागरिकता मिल जाएगी। इसका मतलब ये हुआ कि यहूदी धर्म का इंसान दुनिया के चाहे किसी भी कोने में रहता हो, वह जब चाहे इजरायल आकर रह सकता है। इसके साथ ही उसे खुद ही यहां की नागरिकता भी मिल जाएगी।
जैसे हर देश की अपनी राष्ट्र भाषा होती है, वैसे ही इजरायल की भी अपनी राष्ट्रभाषा है। इस देश की राष्ट्रभाषा हिब्रू है। आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि इस भाषा का अंत मध्यकाल में ही हो गया था। इसके प्रति लोगों की रुचि भी लगभग खत्म हो गई थी। लेकिन इजरायल की स्थापना के बाद देशभक्त यहूदी लोगों ने अपनी भाषा को पुनर्जीवित किया। इसके बाद हिब्रू बोलने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। हिब्रू को इजरायल की आधिकारिक भाषा बनाया गया है।
यातायात के नियम सभी जगह अलग-अलग होते हैं। जिस वाहन को चलाने के लिए एक देश में लाइसेंस की जरूरत पड़ती है, उसी वाहन को चलाने के लिए किसी दूसरे देश में लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ती है। ऐसा ही एक वाहन है साइकिल। इसे चलाने के लिए इजरायल में लाइसेंस की जरूरत पड़ती है।