अंतरिम बजट से क्यों निराश हैं टैक्स पेयर्स?

नृपेंद्र गुप्ता

गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024 (12:39 IST)
Nirmala Sitharaman interim budget : वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में अंतरिम बजट पेश करते हुए टैक्स पैयर्स को कोई बड़ी सौगात नहीं दी। चुनाव से पहले पेश हुए बजट में उनके हाथ खाली ही रहे। वित्तमंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा कि लोगों की आय तो बढ़ी है लेकिन महंगाई ज्यादा नहीं बढ़ी।
 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि पिछले 10 साल में पर्सनल इनकम टैक्स फाइल करने के वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है। उन्होंने टैक्स चुकाने वाले लोगों का धन्यवाद देते हुए कहा कि सरकार ने टैक्स की दरों में कमी की है।

ALSO READ: Interim budget 2024 : जानिए क्या है आयकर स्लैब की दरें
सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि नए टैक्स रेजीम में 7 लाख रुपए तक की आमदनी पर कोई भी टैक्स नहीं है। वित्त वर्ष 2013-14 में यह रकम 200000 रुपए थी।
 
उन्होंने कहा कि खुदरा कारोबार के लिए इनकम टैक्स राहत की लिमिट 2 करोड़ से बढ़कर 4 करोड़ कर दी गई है। इसी तरह प्रोफेशनल के लिए 50 लाख रुपए की सीमा को बढ़ाकर 75 लाख रुपए कर दिया गया है। कॉरपोरेट टैक्स की दर 30 फीसदी से घटकर 22 फीसदी कर दी गई है। नए मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के लिए यह दर 15 फीसदी कर दी गई है। हालांकि यह सौगातें मोदी सरकार के इस बजट में नहीं बल्कि पिछले बजटों में ही मिल गई थी। 
 
वित्तमंत्री ने कहा कि पिछले 5 साल में मोदी सरकार का फोकस टैक्स चुकाने वाले लोगों को अधिक से अधिक सुविधाएं देना है। इसीलिए भारत सरकार ने फेसलेस टैक्स एसेसमेंट की शुरुआत की है। 93 दिन से टैक्स एसेसमेंट की समय सीमा घटकर अब 10 दिन कर दी गई है। इससे लोगों को जल्दी रिफंड मिलने लगा है।
 
पेशे से अकाउंटेट अनिल जायसवाल ने बजट पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि इस बार वित्तमंत्री टैक्स स्लैब में बदलाव का ऐलान करेगी। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि पूर्ण बजट में टैक्स के मोर्चे पर राहत जरूर मिलेगी।

प्राइवेट नौकरी करने वाले अजय नीमा भी इनकम टैक्स में छूट नहीं मिलने से निराश नजर आए। उनका कहना था कि महंगाई के दौर में सरकार कुछ रियायत देती तो अच्छा रहता।

हालांकि राठी वेल्थ प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर उमेश राठी ने बजट को ओवरऑल रूप से अच्छा बताया। उन्होंने कहा टैक्स स्लैब में बदलाव के कोई संभावना नहीं थी। सरकार ने ऐसा ही किया। 
 
उन्होंने कहा वित्तीय वर्ष 2009-10 तक की अवधि से संबंधित 25000 रुपए तक और वित्तीय वर्ष 2010-11 से 2014-15 तक की अवधि के लिए 10000 रुपए तक की बकाया प्रत्यक्ष कर मांग की निकासी को वेव कर दिया गया है। बजट में टैक्स पेयर्स के लिए केवल यह राहत की बात है।
Edited by : Nrapendra Gupta 

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी