प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दक्षिण कोरिया के उद्योगतियों से सौर तथा परमाणु ऊर्जा जैसे पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी में निवेश कर इस क्षेत्र के विकास में भारत की मदद करने को कहा है।
सिंह ने कोरिया के शीर्ष उद्योगपतियों से कहा, ‘हम ऊर्जा दक्षता तथा बिजली क्षेत्र में सौर ऊर्जा तथा परमाणु ऊर्जा जैसी अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।’
बैठक में जो कार्यकारी अधिकारी उपस्थित थे, उसमें कोरिया इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (केईपीसीओ) के जूंग क्यूम शामिल हैं। कोरिया इलेक्ट्रिक पावर परमाणु ऊर्जा से जुड़ी कंपनी है। कोरिया की बिजली जरूरतों में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत है।
कोरियाई उद्योग मंडलों द्वारा आयोजित बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘व्यापार के काफी अवसर होंगे और मैं पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी में कोरियाई क्षमता से अवगत हूं।’
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली म्युंग बाक ने कल सिंह के साथ मुलाकात के दौरान भारत में परमाणु रिएयटर के निर्माण के लिए उनके देश को जगह आवंटित करने का अनुरोध किया था।
12 अरब डॉलर की ओडिशा में पोस्को स्टील परियोजना में देरी को लेकर कोरियाई व्यापारियों की चिंता को समझते हुए प्रधानमंत्री ने उद्योगपतियों से कहा, ‘हमारी प्रक्रिया धीमी हो सकती है, लेकिन समस्याओं के निपटने तथा मतभेदों को दूर करने के लिए प्रभावी प्रणाली और ठोस नियम हैं।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सरकार पोस्को परियोजना के मामले में आगे बढ़ने को लेकर गंभीर है और इस संबंध में कुछ प्रगति हुई है। मेरा विश्वास है कि दीर्घकालीन निवेश अवसर के रूप में भारत स्थिर और लाभदायक देश है।’ बैठक में केईपीसीओ के सीईओ के अलावा सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स, टाटा देवू, सांगयोंग मोटर्स, हुंदै मोटर्स तथा दूसान हेवी इंडस्ट्रीज के प्रमुख मौजूद थे।
सिंह के मुताबिक कहा कोरिया से निवेश भारत की प्राथमिकता में शामिल है। हम निवेशकों की शिकायतों तथा देश में व्यापार माहौल में सुधार के लिए सक्रियता से कदम उठाएंगे।’ उन्होंने कहा कि कई राज्य सक्रियता से विदेशी निवेश को प्रोत्साहित कर रहे हैं और केंद्र सरकार इन प्रयासों का समर्थन करेगी।
सिंह ने कहा मैं कोरियाई उद्योग से भारत में विश्वास रखने का अनुरोध करता हूं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है।
प्रधानमंत्री के अनुसार विपरीत अंतरराष्ट्रीय माहौल के बावजूद हम पिछले कुछ साल में 7 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर प्राप्त करने में सफल रहे हैं। मुझे विश्वास है कि अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार हमें आने वाले साल में सतत रूप से सालाना 8 से 10 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर लौटने में मदद करेगा।
सिंह ने कहा कि ग्रामीण भारत में मजबूती लाने के लिए पिछले कुछ साल में शिक्षा, स्वास्थ्य तथा कृषि क्षेत्र में भारी मात्रा में निवेश किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारा ग्रामीण बाजार तथा मध्यम वर्ग तेजी से बढ़ रहा है।
सिंह ने कहा कि भारत उच्च शिक्षा तथा कौशल विकास, बंदरगाह, हवाई अड्डा, रेलवे, ऊर्जा एवं सड़क जैसे बुनियादी ढांचा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विस्तार कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, भारत वैश्विक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के मामले में अग्रणी बना रहेगा।
भौतिक बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर महत्वकांक्षी योजना का खुलासा करते हुए सिंह ने कहा कि भारत की अगले पांच साल में राजमार्ग, बिजली संयंत्र, परिवहन प्रणाली, बंदरगाह तथा हवाई अड्डे से संबद्ध बुनियादी ढांचा क्षेत्र में लगभग 1,000 अरब डालर निवेश सुनिश्चित करने की योजना है।
उन्होंने कहा कि इसे सार्वजनिक तथा निजी निवेश तथा सार्वजनिक-निजी सहयोग के जरिये पूरा किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2010 में व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईपीए) के क्रियान्वयन से द्विपक्षीय व्यापार दो साल में करीब 65 प्रतिशत बढ़ा है और 2011 में कुल व्यापार 20.6 अरब डॉलर पहुंच गया। लेकिन यह अभी भी संभावित क्षमता से कम है।
सिंह ने कहा कि उन्होंने और ली ने व्यापार लक्ष्य को संशोधित कर 2015 तक 40 अरब डालर रखने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह चुनौती के साथ-साथ एक मौका भी है जिसे हम दोनों को समझना होगा। आपके विचारों को जानने को लेकर मेरा नजरिया सकारात्मक है। (भाषा)