सेंट्रल वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के पॉल विनबेरी ने कहा कि इसका मतलब यह भी है कि टॉटेन भविष्य में जलवायु में होने वाले बदलावों के लिहाज से अधिक संवेदनशील है। ग्लेशियर बर्फ का विशालकाय हिस्सा होता है जो कई सदियों में धीरे-धीरे घाटियों, पर्वतों और निचले इलाके की ओर बढ़ता है।
उनमें पृथ्वी के ताजा जल की बड़ी मात्रा होती है और जब वे पिघलते हैं तो समुद्र का स्तर बढ़ने में उनका बड़ा योगदान होता है। नासा के अनुसार, वर्ष 2002 से 2016 के बीच अंटार्कटिका में प्रति वर्ष 125 गीगाटन बर्फ पिघली जिससे दुनियाभर में समुद्र स्तर सालाना 0.35 मिलीमीटर बढ़ा।