इटली की यूनिवर्सिटी ऑफ यूडीन के अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक अंतरिक्ष यात्रा के दौरान तथा चन्द्रमा और मंगल पर भविष्य में वास के वक्त मानव का 'सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण' या धरती पर मौजूद गुरुत्वाकर्षण से बेहद कम गुरुत्वाकर्षी क्षेत्र से सामना होगा तथा यह वातावरणीय दबाव हड्डियों, हृदयवाहिनी, श्वसन प्रणाली और तंत्रिका तंत्र समेत मांसपेशियों के साथ ही कई अंगों, प्रणालियों और शारीरिक प्रक्रियाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
अध्ययन के प्रमुख अनुसंधानकर्ता ब्रूनो ग्रासी ने कहा कि यह अनुसंधान अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष की यात्रा के लिए तैयार करेगा और साथ ही लंबे समय की निष्क्रियता के प्रति हमारी मांसपेशियां किस तरह प्रतिक्रिया देती हैं, हमारी इस समझ को भी विकसित करने में मदद करता है। यह अध्ययन 'द जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी' में प्रकाशित हुआ है। (भाषा)