लगभग 950 करोड़ रुपए की लागत से खरीदे जाने वाले ये ड्रोन अग्रिम मोर्चों को संभालने वाली सभी इन्फेंट्री बटालियनों को सौंपे जाएंगे। चार से पांच हजार मीटर की ऊंचाई तक उड़ने में सक्षम ये यान लगभग 10 किलोमीटर की परिधि में चप्पे-चप्पे पर नजर रखेंगे और वहां की तस्वीरें निरंतर बटालियन कमांडर को भेजते रहेंगे। प्रत्येक इन्फेंट्री बटालियन के साथ-साथ आतंकवादरोधी अभियानों में लगी राष्ट्रीय राइफल्स को भी मिनी यूएवी दिए जाएंगे।
चीन से लगती लगभग 4000 किलोमीटर लंबी सीमा पर हर वर्ष सीमा उल्लंघन की 350 से अधिक घटनाएं होती हैं। पाकिस्तान से लगती सीमा पर भी पिछले कुछ महीनों में आतंकवादी घुसपैठ और विशेष रूप से बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) के हमले बढ़े हैं। सीमा पार की गतिविधयों पर ड्रोन से नजर रखे जाने से इन हमलों का भी समय रहते मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकेगा।
सेना के सूत्रों के अनुसार, इस सौदे में हाथ आजमाने वाली कंपनियों की निविदाओं की जांच की जा चुकी है और इनका तकनीकी मूल्यांकन तथा यूएवी का परीक्षण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी कसौटियों पर खरा उतरने वाले यूएवी को जल्द ही चुन लिया जाएगा। यह खरीद 'बाय इंडियन' श्रेणी में भारतीय कंपनियों से ही की जाएगी। मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी 'मेक इन इंडिया योजना' के तहत यह एक बड़ा सौदा होगा। (वार्ता)