इससे एक हफ्ते पहले इस्लामिक स्टेट (आईएस) से संबद्ध स्थानीय संगठन ने उत्तरी प्रांत की एक शिया मस्जिद में बम विस्फोट किया था, जिसमें 46 लोगों की मौत हुई थी। यह कट्टरपंथी समूह तालिबान के शासन का विरोधी है और शिया समुदाय को मूर्तद (धर्मत्यागी) मानता है, जिन्हें मार दिया जाना चाहिए।
तत्काल यह साफ नहीं हुआ है कि विस्फोट के पीछे किसका हाथ है। जुमे की दोपहर में होने वाली नमाज़ में मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी संख्या में हिस्सा लेते हैं। मस्जिद में अक्सर शिया अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य आते हैं, जिन्हें अक्सर इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह निशाना बनाता है।