फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू सोमवार को संसद में विश्वास मत हासिल करने में नाकाम रहे और इसके साथ ही उनकी सरकार गिर गई। अब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को 12 महीने में चौथी बार नया प्रधानमंत्री तलाश करना होगा। बायरू की सरकार के पक्ष में 364 जबकि विरोध में 194 वोट पड़े। मैक्रों ने पिछले साल दिसंबर में बायरू (74) को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।
सरकार गिरने के बाद बायरू को संवैधानिक रूप से बाध्य होकर मैक्रों को इस्तीफा सौंपना होगा। इससे पहले बायरू ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए काफी कोशिश की। उन्होंने सोमवार को मतदान से पहले, उन्हें सत्ता से बेदखल करने की उम्मीद कर रहे सांसदों से फ्रांस के कर्जों पर लगाम लगाने की उनकी योजना का समर्थन करने का आग्रह किया। उन्होंने इस कर्ज के बारे में कहा कि यह हमें डुबो रहा है।
नेशनल असेंबली में दिए गए एक जोशीले भाषण में बायरू इस बात पर अड़े रहे कि फ्रांस का बढ़ता सार्वजनिक घाटा और बढ़ता कर्ज इसके भविष्य के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्ज आने वाली पीढ़ियों पर भारी पड़ेगा, फ्रांस को विदेशी कर्जदाताओं के प्रति कमजोर बना देगा और अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह देश की बहुमूल्य सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश के लोग काम करते हैं और सोचते हैं कि यह समृद्ध होता जा रहा है, लेकिन असल में देश गरीब होता जा रहा है। Edited by : Sudhir Sharma इनपुट भाषा