Germany Sexual Abuse of Children : हम समझते हैं कि पश्चिम के देश बहुत धनी-मानी और सुशिक्षित हैं, सबके पास नौकरी-धंधा है इसलिए वहां अपराध बहुत कम होते होंगे। वहां के बच्चों की ज़िंदगी भी बहुत सहज और सुखद होती होगी। लेकिन ऐसा है नहीं। यूरोप-अमेरिका के पश्चिमी देशों में बढ़ती हुई संपन्नता, चरित्रहीनता का कारण बन रही है। आर्थिक-तकनीकी उत्थान, संवेदनाहीन नैतिक पतन की ओर ले जा रहा है। मनुष्यता पर पशुता हावी होने लगी है।
यदि ऐसा नहीं होता तो उदाहरण के लिए जर्मन पुलिस के संघीय अपराध कार्यालय (BKA) को हर वर्ष एक ऐसी रिपोर्ट प्रकाशित नहीं करनी पड़ती जिसमें बताया गया होता है कि पिछले पूरे वर्ष में देश की पुलिस ने (दुधमुंहेपन से लेकर जवानी में पैर रखने तक) बच्चों के साथ और स्वयं बच्चों द्वारा भी यौन अपराधों के कैसे-कैसे और कितने मामले दर्ज किए हैं तथा पुलिस क्या कर्रवाई कर पाई है। इन्हीं दिनों वर्ष 2023 में बच्चों और युवाओं के साथ बलात्कार, दुराचार और यौन शोषण जैसे यौन अपराधों के पुलिस तक पहुंचे मामलों की आधिकारिक रिपोर्ट पेश की गई।
यौन अपराधों में हर साल वृद्धि: जर्मन पुलिस के संघीय अपराध कार्यालय की इस रिपोर्ट से पता चलता है कि यौन अपराधों की संख्या में हर साल हो रही लगातार वृद्धि थमने का नाम नहीं ले रही है। इन अपराधों की तीन-चौथाई शिकार छोटी बालिकाएं, किशोरियां और युवतियां बनती हैं।
कई मामलों में तो अपराधी खुद भी कम आयु के अव्यस्क थे। 94 प्रतिशत अपराधकर्ता युवा लड़के या पक्की आयु के पुरुष थे। वे आमतौर पर अकेले ही, अश्लील (पोर्नोग्राफ़िक) फ़ोटुओं और वीडियो से लेकर यौन दुराचार के सभी प्रकारों के प्रति अपने शौक का परिचय देते पाए गए। पुलिस द्वरा दर्ज सभी मामलों में से आधे से अधिक ऐसे मामले रहे हैं जिनमें उत्पीड़क और पीड़ित एक-दूसरे को जानते थे या एक ही परिवार के थे!
सवा 8 करोड़ की जनसंख्या वाले जर्मनी की इस रिपोर्ट में बताए गए आंकड़े जर्मनी की अपनी पुलिस और अमेरिका के 'ग़ायब एवं शोषित बच्चों के केंद्र' (नैश्नल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन/ NCMEC) से मिले जर्मनी संबंधी आंकड़ों पर आधारित हैं। यह अमेरिकी संगठन सोशल नेटवर्क पर अमेरिकी ही नहीं, अन्य देशों के बच्चों और युवाओं के अश्लील फ़ोटो आदि जैसी सामग्रियों की साक्ष्य के तौर पर नियमित जांच करता है। कई बार ऐसा भी होता है कि जर्मन पुलिस अपनी छानबीन में किसी मामले को पकड़ नहीं पाई, पर NCMEC ने पकड़ लिया।
बच्चों का यौन शोषणः 2023 में, जर्मन जांचकर्ताओं को 16,375 ऐसे मामलों के बारे में पता चला जिनमें 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का यौन शोषण किया गया था। 2022 की तुलना में यह आंकड़ा 5.5 प्रतिशत की वृद्धि के बराबर है। इस बीच जर्मनी और अमेरिका के अलावा कई दूसरे पश्चिमी देशों के पुलिस अधिकारियों ने भी अपने यहां ऐसे विशेष विभाग गठित किए हैं, जो इंटरनेट व सोशल मीडिया पर मौजूद या अपलोड होने वाली ऐसी सारी सामग्रियां चौबीसों घंटे खंगालते रहते हैं जिनका यौन दुराचार, मादक द्रव्य व्यापार या किसी दूसरे अपराध से कोई संबंध हो सकता है। जर्मन बच्चों के यौन शोषण के चित्रण से जुड़े मामलों की संख्या, ऐसी ही विदेशी रिपोर्टों के कारण 7.4 प्रतिशत बढ़कर लगभग 45,000 हो गई है।
स्वयं अश्लील (पोर्नोग्राफ़िक) वीडयो या फ़िल्में बनाने के शौकीन 14 से 17 वर्ष की आयु-वर्ग के युवकों-युवतियों के यौन शोषण की या स्वयं उनके द्वारा किए गए यौन अपराधों की संख्या 2023 में 5.7 प्रतिशत बढ़कर 1,200 हो गई थी। पीड़ितों की संख्या भी 5.5 प्रतिशत बढ़कर 1,277 हो गई। इस आयु-वर्ग में भी तीन चौथाई से अधिक पीड़ित स्त्रीलिंग थीं और 90 प्रतिशत से अधिक परपीड़क पुल्लिंग थे।
30 प्रतिशत संदिग्ध तो स्वयं भी अल्प आयु के बच्चे या अधकचरी आयु के युवा थे। जर्मन पुलिस के संघीय अपराध कार्यालय (BKA) का कहना है कि कम आयु के बच्चे अपनी करनी के आपराधिक पक्ष से प्राय: अनजान होते हैं। वे अक्सर अपने ही जैसे कम उम्र के साथियों या अपने से भी कम उम्र वाले बच्चों के साथ यौन संबंध बनाते हैं और दुराचार करते हैं।
कमसिन यौन पीड़ितों का अनुपात 40 प्रतिशत : यह बात बाल और युवा पोर्नोग्राफ़ी के प्रसंग में विशेष रूप से सच है। रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में 'कम उम्र के संदिग्ध यौन पीड़ितों का अनुपात लगभग 40 प्रतिशत था।' उनमें से एक बड़ा हिस्सा वे तथाकथित 'स्व-फिल्मकार' रहे हैं, जो अपने आाप को ही केंद्र में रखकर अपनी ही अश्लील सामग्रियां बनाते हैं और फिर उन्हें सोशल नेटवर्क पर अपलोड करते हैं, और इस तरह क़ानून की दृष्टि से अपराध करते हैं, क्योंकि ऐसी सामग्री का निर्मण, वितरण, अधिग्रहण और संग्रह दंडनीय है।
जर्मन पुलिस के संघीय अपराध कार्यालय के अनुसार 2023 में बाल और युवा पोर्नोग्राफ़ी के क्षेत्र में ज्ञात कुल 45,191 मामले ठोस और 37,464 संदिग्ध थे। 2022 की तुलना में दोनों आंकड़ों में वृद्धि हुई थी। पुलिस का तब भी कहना है कि इन आंकड़ों के आधार पर बच्चों और युवाओं के खिलाफ यौन हिंसा की 'वास्तविक सीमा के बारे में केवल सीमित बयान ही दिए जा सकते हैं।' यानी पोर्नोग्राफ़िक यौन हिंसा का वास्तविक दायरा इन आंकड़ों से कहीं बड़ा भी हो सकता है।
पुलिस के अधिकारों का दायरा : जर्मन पुलिसकर्मियों की ट्रेड यूनियन चाहती है यौन दुराचार के मामलों से निपटने के लिए पुलिस के अधिकारों का दायरा बढ़ाया जाए। उसे इस समय की अपेक्षा अधिक क़ानूनी शक्तियां मिलें। पुलिस यूनियन के उपाध्यक्ष ने एक संपादकीय नेटवर्क को बताया कि जांचकर्ताओं के हाथ अक्सर बंधे होते हैं, क्योंकि उन्हें कुछ जांच उपकरणों का उपयोग करने की अनुमति नहीं होतीः 'विशेषकर पीड़ितों की नज़र से, यह कोई तर्कसंगत स्थिति नहीं है।'
साइबर स्पेस में बच्चों और युवाओं के खिलाफ यौन हिंसा के बढ़ते प्रसार को देखते हुए आईपी पते (IP-Address) के व्यावहारिक न्यूनतम भंडारण पर सरकारी समझौते की भी तत्काल आवश्यकता है। जर्मन न्याय मंत्रालय इस समय केवल एक निश्चित अवधि के लिए ही संचार डेटा संचित करने और सुरक्षित रखने के पक्ष में है।
वर्तमान में जर्मन पुलिस के जांचकर्ताओं को अक्सर इस चुनौती का सामना करना पड़ता है कि संचार सेवा प्रदाताओं के पास वह डेटा नहीं होता, जो अपराधियों तक पहुंचने के लिए उन्हें चाहिए। पुलिस यूनियन के उपाध्यक्ष के शब्दों में, 'हमें अपराधियों की पहचान करनी है, लेकिन हमारे पास ऐसा करने के लिए सही अवसर नहीं हैं।'
पुलिस यूनियन के उपाध्यक्ष ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित जांच तकनीक के उपयोग का भी आह्वान किया है। उनका मानना है बड़ी मात्रा में डेटा का मूल्यांकन करने की आवश्यकता को देखते हुए, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग से कार्यकुशलता बढ़ाई और काम की गति में भी तेज़ी लाई जा सकती है।
एक सबसे बहुचर्चित व्यथा कथा: बच्चों का यौन शोषण जर्मनी में कितना भयावह बन चुका है, इसके एक सबसे बहुचर्चित उदाहरण की व्यथा कथा 2019 से सामने आनी शुरू हुई। राइन नदी के तट पर बसे, जर्मनी के चौथे सबसे बड़े शहर कोलोन के पड़ोसी शहर 'बेर्गिश ग्लाडबाख़' में अक्टूबर, 2019 में 43 साल के एक रसोइये (कुक) को गिरफ़्तार कर लिया गया। वह अपनी ही बेटी के साथ यौन दुराचार किया करता था।
इस गिरफ्तारी से पता चला कि वह तो बच्चों के साथ गंभीर किस्मों की यौन हिंसा करने वाले एक बहुत बड़े जाल का सदस्य है। मर्दों के बहुमत वाला यह जाल इतना बड़ा और जटिल था कि उससे जुड़े सभी लोगों का पता लगाने और उनसे पूछताछ करने के लिए एक समय 350 महिला और पुरुष पुलिसकर्मियों को काम पर लगाना पड़ा।
अकेले 43 वर्षीय रसोइये के पास से कई टेराबाइट के बराबर चैट, व्हाट्सऐप संदेश, वीडियो और फ़ोटो मिले। उसके स्मार्ट फ़ोन पर भी 1,30,000 फ़ोटो और 12,000 वीडियो अलग से मिले। जांचकर्ताओं ने कई 100 संदिग्ध दुराचारियों की पहचान की और 65 पीड़ित बच्चों को उनके चंगुल से छुड़ाया।
इस पशुता का आयाम इतना बड़ा था कि लोगों को विश्वास नहीं हो पाता था कि क्या जर्मनी जैसे एक संपन्न और उन्नत देश में यह संभव है! 39 साल का इसी महाजाल का एक दूसरा सदस्य, अन्य बालिकाओं के अलावा, 13 साल की अपनी ही बेटी के साथ भी वे सारे कुकर्म कर रहा था, जो कामवासना के अंधे किया करते हैं।
एक से एक वीभत्स वीडियो : सभी दुराचारी अपने हाथ लगे बच्चों के साथ अपने कुकर्मों के एक से एक वीभत्स वीडियो बनाते थे और इन वीडियो को ही नहीं, अपनी पशुता से पीड़ित निरीह बच्चों को भी आपस में एक-दूसरे को देते-बांटते थे। वे इतने ढींठ और निश्चिंत हो गए थे कि यह सोच ही नहीं रहे थे कि पुलिस कभी उन्हें धरदबोचेगी या उनके कुकर्मा का कभी भंडाफोड़ भी होगा।
जर्मन पुलिस के लिए भी यह शर्म की बात है कि एक लंबे समय से एक इतने बड़े पैमाने पर कम से कम 65 बच्चों का यौन शोषण हो रहा था और उसे भनक तक नहीं थी। सोशल नेटवर्क का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा था और पुलिस बेख़बर थी। जनवरी 2022 तक 443 संदिग्ध अपराधियों की पहचान हुई थी। संभव है कि कुछ अपराधी अभी भी चैन की बंसी बजा रहे हों।
धर्माधिकारी भी अपवाद नहीं : जर्मनी में बढ़ती हुई यौन हिंसा का एक दूसरा आयाम यह है कि जर्मनी के ईसाई चर्चों के ब्रह्मचारी धर्माधिकारी भी अक्सर होश-हवास खो बैठते हैं। अपने ब्रह्मचर्य-व्रत को ताक पर रखकर चर्च में आने वाले बच्चों के साथ वे भी वह सब कर बैठते हैं जिसे वे दूसरों के लिए अक्षम्य पाप बताते हैं। इस कारण अब हर वर्ष लाखों की संख्या में ईसाई भक्तजन भी अपने चर्च की सदस्यता त्यागने लगे हैं।
कामवासना यौन दुराचार की जड़ है। इस संदर्भ में एक उल्लेखनीय अनोखापन यह भी है कि जर्मनी सहित सारे पश्चिमी जगत में स्त्रीलिंग और पुल्लिंग कहलाने वाले अब केवल दो ही मान्यता प्राप्त लिंग नहीं रहे। ऐसे लोग, जो अपने आप को स्त्रीलिंग-पुल्लिंग वाले लिंगभेद से भिन्न मानते हैं, वे अपने लिए अंग्रेज़ी के 'क्वीयर (Queer)' शब्द का प्रयोग करते हैं।
'क्वीयर' संक्षेप में LGBT कहलाने वाले उन सभी लोगों के लिए एक सामूहिक संबोधन बन गया है, जो केवल विषमलैंगिकता, यानी स्त्री-पुरुष साहचर्य तक ही सीमित नहीं हैं। L का अर्थ है लेस्बियन, G का अर्थ है गे या गेय, B का अर्थ है बाइसेक्सुअल और T का अर्थ है ट्रांसजेन्डर। इन 4 वर्गों के लोग भी अपनी कामवासना की तृप्ति के लिए वे सारे तौर-तरीके अपनाते हैं, जो अन्यथा विषमलैंगिक स्त्री-पुरुष संबंधों में पाए जाते हैं।
क्वीयर लोग: जर्मनी के प्रमुख शहरों में LGBT बाले क्वीयर लोग हर साल बड़े धूमधाम के साथ एक तथाकथित 'क्रिस्टोफर स्ट्रीट डे (CSD)' मनाते हैं। राइन नदी पर बसा कोलोन शहर इस अनोखे उत्सव के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इस दिन केवल क्वीयर लोग ही नहीं, उनका समर्थन करने वाले सामान्य लोग भी, अजोबोगरीब रंगबिरंगे पहनावों और पूरे गाजे-बाजे के साथ सड़कों पर उतरकर परेड-प्रदर्शन करते हैं।
देश के जानेमाने नेता भी इस उत्सव में उत्साह से भाग लेते हैं, क्योंकि क्वीयर लोग मतदाता भी तो हैं। कोलोन शहर में रविवार 21 जुलाई की इस वर्ष की उत्सवी परेड में कई राष्ट्रीय और स्थानीय नेताओं तथा अन्य जानेमाने लोगों सहित 16 हज़ार लोगों लोगों ने भाग लिया और 10 लाख से अधिक दर्शकों की भीड़ ने सड़कों के किनारे जमा हो कर पूरे हर्षोल्लास के साथ उनका स्वागत किया।
(इस लेख में व्यक्त विचार/ विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/ विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेती है।)