ट्रंप प्रशासन के इस कदम के कारण अमेरिका में काम कर रही भारतीय आईटी कंपनियों पर काफी प्रभाव पड़ेगा। यही नहीं, इंडियन-अमेरिकन लोगों द्वारा चलाई जा रही छोटी और मध्यम कैटेगरी की आईटी कंपनियों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।
दरअसल, सामान्य रूप से एच-1बी वीजा तीन साल से छह साल के लिए जारी किया जाता है। इस वीजा के तहत अमेरिकी कंपनियां विशेषज्ञता वाले खास काम के लिए विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करती है। खबरों के मुताबिक, नया प्रस्ताव 2019 तक बन जाएगा।
उन्होंने कहा कि खास पेशों की परिभाषा को इसलिए फिर से परिभाषित किया जाएगा, ताकि एच-1 बी वीजा के तहत प्रतिभाशाली लोगों को लिया जा सके। यह रोजगार और एंप्लॉयर-एंप्लॉई संबंधों को भी फिर से परिभाषित करेगा ताकि अमेरिकी कामगारों के हितों की रक्षा की जा सके।