संयुक्त राष्ट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुधारों के लिए कोई निर्धारित समय-सीमा तय न किए जाने और सुरक्षा परिषद के वास्तविक विविधता को प्रतिबिंबित न करने पर चिंता जताते हुए कहा कि आतंकवाद, कट्टरवाद, वैश्विक महामारी, गैर-सरकारी ताकतों की विघटनकारी भूमिका और नई वैश्विक चुनौतियों के बीच शांति सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत बहुपक्षीय प्रतिक्रिया एवं त्वरित कार्रवाई करने वाले मंच की आवश्यकता है।
अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा कायम रखने के विषय के तहत आयोजित पहले हस्ताक्षर कार्यक्रम में बहुपक्षीय सुधार के लिए नए दिशानिर्देशों पर सुरक्षा परिषद में एक मंत्री स्तरीय चर्चा होगी। इस विषय पर बैठक से पहले भारत ने एक कॉन्सेप्ट नोट (विषयवस्तु की संक्षिप्त रूपरेखा) जारी किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि इसे सुरक्षा परिषद के दस्तावेज के रूप में देखा जाए।
कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया, दुनिया अब वैसी नहीं है जैसी 77 वर्ष पहले थी। वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र के 55 सदस्य थे, जिनकी संख्या अब तीन गुना बढ़ गई है। वैश्विक शांति व सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सुरक्षा परिषद की संरचना अंतिम बार 1965 में तय की गई थी और यह संयुक्त राष्ट्र की व्यापक सदस्यता की वास्तविक विविधता को प्रतिबिंबित नहीं करती।
इसमें कहा गया कि पिछले सात दशकों में नई वैश्विक चुनौतियां उभरी हैं, जैसे कि आतंकवाद, कट्टरवाद, वैश्विक महामारी, नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियों से खतरे, गैर-सरकारी ताकतों की विघटनकारी भूमिका, भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा आदि।
कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया, इन सभी चुनौतियों से एक मजबूत बहुपक्षीय प्रतिक्रिया के जरिए ही निपटा जा सकता है। इसमें कहा गया कि बहुपक्षीय सुधार के लिए वर्तमान बहुपक्षीय संरचना के सभी तीन स्तंभों- शांति एवं सुरक्षा, विकास तथा मानवाधिकारों में सुधार की आवश्यकता है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)