Israeli attacks in Gaza: गाजा पट्टी में पिछले दो वर्षों से जारी इजराइली सैन्य कार्रवाई ने मानवता को झकझोर दिया है। गाजा सरकार मीडिया कार्यालय के अनुसार, 7 अक्टूबर 2023 से अब तक इजराइल ने गाजा पर 2,00,000 टन से अधिक विस्फोटक गिराए हैं, जो हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बमों की विनाशकारी शक्ति के लगभग 13 गुना के बराबर है। यह आंकड़ा न केवल इजराइली हमलों की भयावहता को दर्शाता है, बल्कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टों में दर्ज व्यापक तबाही की पुष्टि भी करता है।
29 मिलियन टन मलबा : रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायली बमबारी से उत्पन्न मलबा 39 मिलियन टन से अधिक हो गया है, जो गाजा के हर वर्ग मीटर पर 107 किलोग्राम का बोझ डालता है। यह मलबा खतरनाक पदार्थों जैसे एस्बेस्टस और अप्रयुक्त विस्फोटकों से दूषित है, जिसकी सफाई में वर्षों लग सकते हैं।
लेकिन, नवीनतम आंकड़े गाजा मीडिया कार्यालय से हैं, जिन्हें अल जजीरा और आनाडोलू एजेंसी जैसी विश्वसनीय स्रोतों ने उद्धृत किया है। संयुक्त राष्ट्र की विशेष समिति ने नवंबर 2024 में एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें इजराइल की गाजा में युद्धनीति को 'नरसंहार की विशेषताओं के अनुरूप' करार दिया। रिपोर्ट में कहा गया कि बड़े पैमाने पर नागरिक हत्याएं और जीवन-खतरनाक स्थितियां पैदा की गई हैं।
इस बीच, फिलिस्तीन और इजराइल शांति की राह पर हैं, लेकिन यूएन न्यूज के अनुसार, उत्तरी गाजा में भूख और बीमारियां फैल रही हैं। पर्यावरणीय प्रभाव की बात करें तो, जल, अपशिष्ट और ठोस कचरा प्रबंधन प्रणालियां पूरी तरह ढह चुकी हैं। प्रतिदिन 60,000 घन मीटर गंदा पानी भूमध्य सागर में बहाया जा रहा है, जो स्वास्थ्य संकट को और गहरा रहा है।
90 फीसदी घर तबाह : यह तबाही केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है। गाजा में 90% से अधिक घर नष्ट हो चुके हैं और 1,86,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें से आधे से अधिक बच्चे और महिलाएं हैं। केंद्रीय गाजा और खान यूनिस जैसे क्षेत्रों में कृषि भूमि का 42% हिस्सा बर्बाद हो गया, जिससे भोजन संकट और गहरा गया। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यह संघर्ष न केवल मानवीय आपदा है, बल्कि पर्यावरणीय आपदा भी, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करेगा।