डोमिनिका के राष्ट्रीय सुरक्षा और गृह मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी नोटिस के मुताबिक मेहुल चोकसी को 25 मई को एक प्रतिबंधित आप्रवासी घोषित किया गया था। उसके बाद मंत्रालय ने पुलिस को आप्रवासन और पासपोर्ट अधिनियम की धारा 5 (1) (1) के तहत मेहुल को डोमिनिका के राष्ट्रमंडल से हटाने का निर्देश दिया गया था। रिपोर्ट के अनुसार मंत्रालय ने उसी दिन चोकसी को एक अलग नोटिस भी भेजा था जिसमें बताया गया था कि उन्हें डोमिनिका में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।
जानकारी के लिए बता दें कि मेहुल चोकसी पर पीएनबी बैंक को 13,500 करोड़ रुपए का चूना लगाने का आरोप है और इसी आरोप के चलते वह एक लंबे अर्से से एंटीगुआ में रह रहा था। 23 मई को चोकसी डोमिनिका पहुंचा था। मेहुल के वकील की ओर से दावा किया गया कि उन्हें (मेहुल चोकसी) को अगवा किया गया था और उन्हें जबर्दस्ती से डोमिनिका ले जाया गया।
हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी अपने बचाव के लिए हर एक दांव आजमा रहा है। डोमिनिका में गिरफ्तारी के बाद से उसने नए दांव खेलते हुए कहा कि उसकी महिला मित्र बारबरा जबरिका ने भारतीय एजेंटों के साथ मिलकर उसका अपहरण किया गया था। मेहुल ने मारपीट का आरोप भी लगाया था। उसने कहा था कि जिस नाव में उसे ले जाया गया, उसमें 2 भारतीय और 3 एंटीगुआ नागरिक थे। चोकसी का यह भी कहना था कि उस पर 1 साल तक नजर रखी गई है।