मोदी ने चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग से मुलाकात की

शनिवार, 9 जून 2018 (17:14 IST)
चिंगदाओ (चीन)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को यहां चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से गर्मजोशी से मुलाकात की। इस बैठक का उद्देश्य वुहान में अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद द्विपक्षीय संबंधों में आ रही प्रगाढ़ता को और बढ़ाना है।
 
 
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन के इतर दोनों नेताओं की यह बैठक चीन के वुहान शहर में अनौपचारिक बातचीत के करीब 6 सप्ताह बाद हुई। इस अनौपचारिक बातचीत का उद्देश्य पिछले साल डोकलाम गतिरोध के बाद दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करना और विभिन्न क्षेत्रों में संबंधों को और मजबूत करना था।
 
मोदी एससीओ के सालाना सम्मेलन में शामिल होने के लिए 2 दिवसीय दौरे पर शनिवार दोपहर यहां पहुंचे। बैठक से पहले दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और फोटोग्राफरों को तस्वीर लेने का मौका दिया। मोदी ने इस मौके पर कहा कि भारत और चीन के बीच मजबूत और स्थिर संबंध स्थिर और शांतिपूर्ण विश्व की प्रेरणा दे सकते हैं। उन्होंने वुहान में शी के साथ हुई अनौपचारिक वार्ता को भी याद किया।
 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया कि वुहान अनौपचारिक वार्ता से द्विपक्षीय संबंधों में आ रही गर्माहट को और बढ़ाने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एससीओ सम्मेलन से इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ गर्मजोशी से बैठक की। मोदी और शी ने 27-28 अप्रैल को वुहान अनौपचारिक वार्ता में किए गए फैसलों के क्रियान्वयन की प्रगति का जायजा भी लिया।
 
वुहान में बातचीत के बाद मोदी और शी ने भविष्य में डोकलाम जैसी स्थिति से बचने के प्रयासों के तहत भरोसा और विश्वास पैदा करने के लिए संवाद मजबूत करने के वास्ते अपनी सेनाओं को रणनीतिक दिशा-निर्देश जारी करने का फैसला किया था। दोनों नेताओं ने आर्थिक संबंधों और लोगों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की थी। डोकलाम गतिरोध के बाद दोनों देशों के संबंधों में गतिरोध पैदा हो गया था।
 
मोदी के अन्य एससीओ देशों के नेताओं के साथ करीब आधा दर्जन द्विपक्षीय बैठकें करने की उम्मीद है। यह पहला मौका है, जब भारत और पाकिस्तान को इस संगठन का पूर्ण सदस्य बनाए जाने के बाद भारत के प्रधानमंत्री एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। एससीओ का गठन 2001 में शंघाई में एक सम्मेलन में रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने किया था। (भाषा)

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