इस दौरान भारत और इसराइल की खुफिया एजेंसियों के मिलकर सक्रिय अभियान चलाया। इसके बाद इसराइल सीधे तौर पर कहुटा संयंत्र को बम से उड़ाना चाहता था, लेकिन यहां पर भारत की ओर से एक बहुत बड़ी असावधानी हो गई। हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने, जो उस समय तत्कालीन पाक तानाशाह जनरल जिया-उल हक से बातचीत किया करते थे, फोन पर बातचीत के दौरान उनसे कह दिया कि उन्हें पाकिस्तान के खुफिया अभियान (कहुटा संयंत्र) की जानकारी है।