इस्लामाबाद। पाकिस्तान की नवाज शरीफ सरकार ने पहली बार देश के सैनिक नेतृत्व को चेतावनी दी है कि अब आतंकियों का सफाया करना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो दुनिया में पाक को अलग-थलग करने से कोई रोक नहीं पाएगा। पाक सरकार ने साफ कर दिया है कि आतंकी गुटों पर कार्रवाई में मिलिट्री और इंटेलिजेंस कोई दखलंंदाजी न करे।
अंग्रेजी दैनिक डॉन में सिरिल अलमीदा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल की बैठकों के बाद गत सोमवार को सभी दलों की एक अज्ञात स्थान पर हुई बैठक में सरकार के कुछेक महत्वपूर्ण फैसलों पर एकजुटता दिखाई गई। इस बैठक में कम से कम दो तरह की कार्रवाइयों पर सहमति दर्शाई गई है।
पाक के अंग्रेजी अखबार ‘द डॉन’ में कहा गया है कि पाकिस्तान में हुई उच्चस्तरीय बैठक में दो एक्शन प्लान तय हुए हैं। पहले एक्शन प्लान के मुताबिक आईएसआई के महानिदेशक जनरल रिजवान अख्तर और पाक एनएसए नसीर अहमद जंजुआ चारों प्रांतों का दौरा करेंगे। वहां वे प्रांतीय समितियों और आईएसआई के सेक्टर कमांडरों से मिलेंगे।
इन बैठकों से यह संदेश दिया जाएगा कि मिलिट्री की अगुआई में चलने वाली इंटेलिजेंस एजेंसियां आतंकी गुटों पर कार्रवाई में किसी तरह की दखलंंदाजी नहीं करेंगी। जनरल अख्तर तो लाहौर के दौरे पर निकल भी गए हैं। दूसरे प्लान के मुताबिक, नवाज ने साफतौर पर कहा है कि पठानकोट हमले की नए सिरे से जांच होगी, साथ ही रावलपिंडी में एंटी-टेररिज्म कोर्ट में चल रहे मुंबई हमले का ट्रॉयल भी दोबारा शुरू होगा।
बीते दिनों पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ (नवाज के भाई) और रिजवान अख्तर के बीच जोरदार बहस हुई थी। समझा जाता है कि ये फैसले उसी बैठक के बाद लिए गए और समझा गया है कि इस कार्रवाई पर ही नवाज सरकार का भविष्य टिका हुआ है। सोमवार को ही पाक विदेश सचिव एजाज चौधरी ने पीएमओ के असैनिक और मिलिट्री अफसरों को अलग से प्रेजेंटेशन दिया। नवाज भी इस मीटिंग में थे। इसमें भारत के साथ हाल के घटनाक्रम और उसके बाद अन्य देशों के साथ पाकिस्तान के राजनयिक संबंधों को लेकर चर्चा हुई।
चर्चा का मुख्य मुद्दा यही था कि पाक विश्व बिरादरी से अलग-थलग पड़ चुका है। अमेरिका के मु्द्दे पर चौधरी ने कहा, 'अमेरिकियों के साथ हमारे संबंधों में लगातार गिरावट आई है। इसकी वजह है कि वे हक्कानी समेत सभी आतंकी नेटवर्क्स पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।' चौधरी ने भारत के बारे में कहा, 'अमेरिका की यह मांग भी है कि पठानकोट हमले की जांच पूरी की जाए और जैश-ए-मोहम्मद पर ऐसी कार्रवाई की जाए जिसका प्रत्यक्ष असर दिखाई दे।'
चौधरी का कहना था कि, 'चीन पाकिस्तान को सहयोग करता है, लेकिन अब वह भी जैश को लेकर हमारी रणनीति पर सवाल उठा रहा है।' चीनी अधिकारियों का कहना है कि वे कब तक तकनीकी आधार पर जैश-ए- मोहम्मद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई को रोक सकेंगे? विदेश सचिव के तल्ख निष्कर्षों के बाद अख्तर ने पूछा कि किस तरह का एक्शन लें? इस पर चौधरी का कहना था कि मसूद अजहर, हाफिज सईद, लश्कर-ए- तैयबा और हक्कानी नेटवर्क पर ठोस कार्रवाई की जाए।
चौधरी की बातों पर अख्तर ने पूछा कि पाक को दुनिया से अलग-थलग होने से रोकने के लिए किस तरह के कदम उठाने चाहिए। चौधरी ने सीधा जवाब दिया, ' अंतरराष्ट्रीय समुदाय की साफ मांग है कि मसूद अजहर और उसके संगठन जैश-ए-मोहम्मद, हाफिज सईद और लश्कर-ए-तैयबा और हक्कानी नेटवर्क पर कार्रवाई हो।
इस पर रिजवान अख्तर ने संबंधित लोगों के अरेस्ट किए जाने की बात कही, लेकिन यह साफ नहीं हुआ है कि किसी खास शख्स या बैन किए गए ग्रुप के मेंबर को लेकर ये बातें सामने आई हैं।
विदित हो कि खास व्यक्ति और ग्रुप के प्रमुखों की गिरफ्तारी को लेकर शहबाज शरीफ ने शिकायत की थी कि जैसे ही अफसर कुछ (आतंकी) गुटों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं, मिलिट्री अफसर पीछे से उन्हें छुड़ाने में लग जाते हैं। हालांकि एक सरकारी अफसर ने कहा, 'कोई कार्रवाई होती है या नहीं, यह देखने के लिए आपको नवंबर तक इंतजार करना होगा। इससे पहले कई चीजें तय हो जाएंगी।' हालांकि सेना अफसरों ने बैठक को लेकर कोई भी कमेंट करने से इंंकार कर दिया है।
इस बीच पाक अधिकृत कश्मीर से मांग की जाने लगी है कि यहां अब दहशतगर्दी मंजूर नहीं होगी और पाक सरकार को आतंकी गुटों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। लोगों का कहना है कि नवाज शरीफ पीओके को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन वहां के लोगों का कहना है कि पाकिस्तान के झूठ और फरेब की कहानी अब नहीं चलेगी।
लोगों का दर्द नारों, टिप्पणियों के तौर पर चारों दिशाओं में गूंज रहा है। पीओके का कोई ऐसा इलाका नहीं है, जहां पाक हुक्मरानों और दहशतगर्दों के खिलाफ लोग खुलेआम न बोल रहे हों। हर तरफ से सिर्फ एक आवाज आ रही है कि अब बहुत हुआ। लोग चीख-चीखकर कह रहे हैं कि अगर तालिबान और दूसरे आतंकी संगठनों के कैंप नहीं बंद किए गए तो वेे लोग खुद उन कैंपों को तबाह कर देंगे।
आतंकी कैंपों के खिलाफ उठी आवाज : पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में चलने वाले आतंकी कैंपों की अब वहां रहने वाले लोग ही पोल खोल रहे हैं। पीओके के विभिन्न हिस्सों में चल रहे इन आतंकी कैंपों के खिलाफ आज स्थानीय लोग सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि आंतकी कैंप चलने से उनकी जिंदगी नर्क हो गई है। मुजफ्फराबाद, गिलगिट और कोटली में प्रदर्शन कर रहे स्थानीय लोगों ने खुले तौर पर चुनौती देते हुए कहा, 'यदि लश्कर-ए-तैयबा के जिहादी कैंपों को यहां से नहीं हटाया गया तो हम उन पर कार्रवाई करने को मजबूर होंगे।'
पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद, कोटली, चिनारी, मीरपुर, गिल्गिट, डायमर व नीलम घाटी के निवासियों ने कहा कि आतंकी ट्रेनिंग कैंप से जिंदगी नरक के समान हो गई है। उल्लेखनीय है कि इन्हीं स्थानीय लोगों ने इस बात की पुष्टि की थी कि उनके रिहायशी इलाकों में आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को लगाया गया है।
खुफिया एजेंसियों के अनुसार उड़ी हमले के बाद 16-17 आतंकी कैंपों को लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के प्रशिक्षण केंद्रों को अपनी मौजूदा जगह से हटाकर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में शिफ्ट किया गया है। इस काम में पाकिस्तानी आर्मी व इंटरसर्विसेेज इंटेलीजेंस की मदद ली गई है। मानसेहरा व मुज्जफराबाद से चलाए जाने वाले 4 आतंकी कैंपों को पाकिस्तानी आर्मी की मदद से यहां लाया गया है।
गुस्से की आग केवल पीओके तक ही सीमित नहीं है बल्कि बलूचिस्तान के लोग दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में पाकिस्तान का विरोध कर रहे हैं। 'फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट' से जुड़े लोगों का कहना है कि वे चीन और पाकिस्तान के नापाक गठबंधन के खिलाफ वेंकुवर में चीन के कंसुलेट के बाहर प्रदर्शन करेंगे। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पाक सेना लगातार बलूचियों के मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही है लेकिन पाक सरकार को ये सब दिखाई नहीं देता है। पाकिस्तान के शासकों को भारत पर आरोप लगाने की आदत बन चुकी है। वेे लोग भारत सरकार पर तोहमत लगाते हैं लेकिन हकीकत ये है कि आम बलूचियों को बुनियादी अधिकार तक हासिल नहीं हैं।
कोटली के रहने वाले एक शख्स ने कहा- 'आतंकवाद को खत्म करने की जरूरत है। आतंकवादियों को पनाह देकर मसले को हल नहीं किया जा सकता।' इसी तरह मुजफ्फराबाद के रहने वाले एक स्थानीय नेता का कहना है- 'बैन संगठनों, आतंकी कैम्प्स को यहां से राशन दिया जाता है। हम इसकी निंदा करते हैं।' गिलगिट के एक स्थानीय शख्स ने कहा कि यदि एडमिनिस्ट्रेशन ने दायमर, गिलगिट, बासीन और दूसरी जगहों से तालिबानी आतंकी कैम्प्स का खात्मा नहीं किया, तो हम एक्शन लेंगे।
लोगों के प्रदर्शन और नारे : कोटली इलाके में लोग 1 और 2 अक्टूबर को आर्मी और आईएसआई की ज्यादती के खिलाफ सड़कों पर उतरे थे। लोगों ने नवाज शरीफ सरकार के खिलाफ भी प्रदर्शन और नारेबाजी की और कहा था कि हम इंडिया जाना चाहते हैं। इससे पहले, 30 सितंबर को यहां के लोग भारत के समर्थन में खड़े हुए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के लिए बढ़ते समर्थन को पाकिस्तान दबाने की कोशिश कर रहा है।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी फौज पीओके में ह्यूमन राइट्स की लगातार धज्जियां उड़ा रही है। वहां विरोध कर रहे लोगों को यह कहते सुना जा रहा है कि ‘हम इंडिया जाना चाहते हैं’। पिछले 14 अगस्त को गिलगिट-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान में पाकिस्तान सरकार और सेना का विरोध हुआ था। हजारों युवाओं ने प्रदर्शन किए, पाक सेना के लिए ‘गो बैक’ के नारे लगाए। 500 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को बलों ने गिरफ्तार किया था।
पीओके में क्यों हो रहा है विरोध?
1. पाक अधिकृत कश्मीर में रहने वाले लोग जिहाद या आतंकी वारदातों में शामिल होने से लगातार इंंकार करते रहे हैं। इस कारण से उन्हें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई उठाकर ले जाती है और परेशान करती है। इसी के खिलाफ पीओके में आवाज उठनी शुरू हो गई है।
2. भारत अच्छा है
- यहां लोग कह रहे हैं कि उनके खिलाफ ताकत का इस्तेमाल करने या उन्हें परेशान करने का पाकिस्तान सरकार को कोई हक नहीं है। उनका कहना है कि एक पड़ोसी देश के रूप में भारत कहीं ज्यादा अच्छा है।
3. पीओके में कहां हो रहा है विरोध?
- मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद, मीरपुर, नीलम, गिलगिट और कोटली जैसे इलाकों में लोगों का गुस्सा पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इनको लेकर पाकिस्तान के नेशनल सिक्यूूरिटी एडवाइजर (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) सरताज अजीज का कहना था कि भारत, पीओके में माहौल खराब करने की कोशिश कर रहा है और उन्होंने इसे इंडियन मीडिया का प्रोपेगंंडा भी करार दिया।