यहूदियों के पारंपरिक दस्तावेजों के अनुसार, बाद में जोसेफ रब्बन को शिंगली का राजकुमार बना दिया गया था। शिंगली एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है जो कोदन्गुल्लूर के समकक्ष होता है। कोदन्गुल्लूर वह स्थान है, जहां यहूदी लोग सदियों तक धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्वायत्ता का आनंद लेते रहे हैं। इसके बाद वे कोचीन और मालाबार के अन्य स्थानों पर चले गए थे। इन प्लेटों के प्रतिरूप कोच्चि स्थित परदेसी सिनगॉग के सहयोग से हासिल किए गए।
तांबे की प्लेटों का दूसरा सेट भारत के साथ यहूदियों के व्यापार के इतिहास का प्राचीन दस्तावेजीकरण है। ये प्लेटें स्थानीय हिंदू शासक द्वारा चर्च को दिए गए जमीन और कर संबंधी विशेषाधिकारों के बारे में बताती हैं। इसके अलावा ये कोल्लम से पश्चिमी एशिया के साथ होने वाले व्यापार और भारतीय व्यापार संघों का भी वर्णन करती हैं।