दावोस में नरेंद्र मोदी- जिसका डेटा पर काबू, उसका दुनिया में वर्चस्व...
मंगलवार, 23 जनवरी 2018 (16:20 IST)
दावोस। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक में उद्घाटन भाषण देते हुए कहा...
* समग्रता चाहते हैं तो भारत आएं।
* भारत में रेट टेप की जगह रेड कारपेट ने ले ली है।
* जब हमने दुनिया को अपना परिवार माना है तो दुनिया के लिए भी हम भारतीय परिवार।
* विकास की राह में रोड़ा डालने वाले 1400 कानून रद्द।
* युवा नौकरी मांगने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनने की राह में।
* विकास की राह में रोड़ा डालने वाले 1400 कानून खत्म कर दिए।
* हमने एक देश एक टैक्स की व्यवस्था जीएसटी लागू की।
* रिफॉर्म, परफार्म और ट्रांसफार्म के सिद्धांत पर हम आगे बढ़ रहे हैं।
* साथ चलें, सबको लेकर, सबके लिए चलना ही विकास है।
* विकास के लिए हमारा मंत्र है- सबका साथ, सबका विकास।
* हमारी नीति सबका साथ, सबका विकास पर आधारित है।
* प्रकृति को बचाना भारत की संस्कृति का हिस्सा रहा है।
* भारत का लोकतंत्र एक जीवन दर्शन है।
* आज पूरी दुनिया के लिए भारत के दरवाजे खुले हुए हैं।
* आज दुनिया के देशों के बीच कारोबार घट रहा है।
* वैश्वीकरण के बीच आत्मकेंद्रित होना बड़ी चुनौती।
* तीसरी बड़ी चुनौती यह है कि सभी देश सिर्फ अपने ही बारे में सोच रहे हैं।
* पढ़े-लिखे युवाओं का आतंकवाद से जुड़ना खतरनाक
* अच्छे और बुरे आतंकवाद में फर्क करना आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक।
* दुनिया के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है आतंकवाद।
* गरीबी, बेरोजगारी और अलगाववाद की दरारों को हमें दूर करना है।
* संस्कृत के श्लोक का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि भूमि माता है और हम उसकी संतान हैं। इसके बाद भी अलगाववाद की भावना क्यों पैदा होती है।
* उपनिषद के वाक्य का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि संसार में रहते हुए उसका त्यागपूर्वक भोग करो। किसी दूसरे की संपत्ति की इच्छा मत करो।
* नीड पर आधारित उपयोग और उपभोग की बात, ग्रीड आधारित नहीं।
* जलवायु परिवर्तन का खतरा, आतंकवाद के खतरे से कम गंभीर नहीं।
* हम अपने सुख के लिए प्रकृति के शोषण तक पहुंच गए।
* हमें सोचना चाहिए कि यह हमारे विकास हुआ है या पतन।
* प्रकृति को बचाना भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है।
* पहला खतरा जलवायु परिवर्तन। ग्लेशियर पिघलते जा रहे हैं, बहुत से द्वीप डूब रहे हैं या डूब गए हैं। ज्यादा गर्मी, बारिश और सर्दी का मौसम बढ़ रहा है।
* मानव सभ्यता के लिए मोदी ने बताया तीन सबसे बड़ा खतरा।
* हम अपने सीमित और संकुचित दायरों से निकलें। हमें यह भी सोचना होगा कि हम मिलकर क्या कर सकते हैं।
* जब साझा चुनौतियां सामने आएं तो सब एकजुट होकर उसका मुकाबला करें।
* हम मानव को तोड़ने और बांटने में नहीं बल्कि जोड़ने में विश्वास रखते हैं। इसके लिए उन्होंने वसुधैव कुटुंबकम का भी उल्लेख किया।
* हमारे विभाजन और दरारों ने हमारी चुनौतियों और संघर्ष को और कठोर बना दिया है।
* जो डेटा पर काबू रखेगा वही भविष्य पर अपना वर्चस्व बनाएगा।
* भारत, भारतीय, भारतीय विरासत का प्रतिनिधि होने के नाते मेरे इस फोरम का विषय जितना समकालीन है उतना ही समयातीत भी है।
* आज टेक्नोलॉजी की सुविधा के साथ चुनौती भी कम नहीं है। टेक्नोलॉजी ने पूरी दुनिया को बदल दिया है।
* विज्ञान, तकनीक और आर्थिक प्रगति के नए आयामों के अलावा कुछ दरारें भी पैदा हुए हैं।
* बहुत दीवारें ऐसी खड़ी हुई है, जिन्होंने मानव की तरक्की को दुर्गम बना दिया है।
* दरारों से घिरे विश्व में सांझा भविष्य का निर्माण इस बार फोरम का लक्ष्य।
* 1997 की तुलना में भारत की जीडीपी छह गुना बढ़ी।
* 1997 में बहुत कम लोगों ने ओसामा बिन लादेन के बारे में बहुत कम सुना था, हैरी पोटर के बारे में भी लोग नहीं जानते थे।
* तब साइबर स्पेस में गूगल का भी अवतार नहीं हुआ था।
* उस समय ट्वीट करना चिड़ियों का काम था।
* उस समय भी दावोस अपने समय से आगे है। आज भी अपने समय से आगे है।
* 1997 में यूरो मुद्रा प्रचलन में नहीं थी, न ही ब्रैक्जिट के आसार थे।
* 1997 में 21 साल पहले भारत के प्रधानमंत्री आए थे। तब से अब तक काफी बदलाव आया है।
* वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की बैठक को हिन्दी में संबोधित करते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस बैठक का एजेंडा दुनिया के हालात सुधारने का है।
* स्वागत, सत्कार के लिए नरेन्द्र मोदी ने स्विट्जरलैंड की सरकार वहां के नागरिकों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।