कॉलेज जाना बंद, अपहरण के डर से महल में ही कैद हुई राजकुमारी अमालिया।
कभी पैदल कॉलेज जाती थी नीदरलैंड की राजकुमारी।
राजकुमारी की सुरक्षा को लेकर उठाना पड़ा यह कदम।
नीदरलैंड की राजकुमारी कतरीना-अमालिया भविष्य में कभी अपने पिता राजा विलेम-अलेक्सांदर की उत्तराधिकारी बनेंगी। किंतु उनका छात्र-जीवन अभी से राजमहल में नज़रबंदी जैसा बन गया है।
यूरोप में इस समय 7 ऐसे अपेक्षाकृत बड़े और 3 बहुत छोटे देश हैं, जो लोकतांत्रिक राजशाही वाले देश कहलाते हैं। बड़े देश हैं ब्रिटेन, स्पेन, बेल्जियम, नीदरलैंड (हॉलैंड), डेनमार्क, स्वीडन और नॉर्वे। तीन छोटे देश हैं मोनाको, लिश्तेनश्टाइन और लक्सेम्बुर्ग। इन देशों के राजाओं-महाराजाओं को भी कभी-कभी ऐसी चिंताओं का सामना करना पड़ता है, जो अन्यथा राह चलते आम लोगों के जीवन का हिस्सा होती हैं।
पौने दो करोड़ की जनसंख्या वाला नीदरलैंड एक बहुत ही सुखी, सुंदर, शांत और साफ़-सुथरा देश है। किंतु उसके राजा और रानी को कुछ दिनों से एक ऐसी चिंता ने घेर रखा है, जो प्रायः एशिया या अफ्रीका के लोगों की चिंता हुआ करती है। गर्मियों की लंबी छुट्टियों के बाद सितंबर में जब वहां के विश्वविद्यालय खुले, तो 18 वर्षीय युवराज्ञी कतरीना-अमालिया ने भी देश के सबसे बड़े शहर एम्स्टर्डम के विश्वविद्यालय में अपनी आगे की पढ़ाई शुरू की।
विश्वविद्यालय पैदल ही जाती थीं : एम्स्टर्डम में ही अमालिया कुछ अन्य छात्राओं के साथ रह रही थीं, ताकि सामान्य जीवन का भी कुछ अनुभव मिले। विश्वविद्यालय पास ही है, इसलिए पैदल ही वहां जाती थीं। पहले दिन मीडिया वाले भी अपने कैमरों के साथ वहां जमा हो गए थे। हाथ हिलाकर उनका अभिनंदन करते हुए अमालिया कुछ बोले बिना विश्वविद्यालय के भीतर चली गईं। लेकिन, अक्टूबर का मध्य आते-आते उन का विश्वविद्यालय जाना बंद हो गया।
उनकी मां रानी मक्सीमा ने रुआंसे स्वर में प्रेस को बताया कि उनकी इस सबसे बड़ी बेटी को एम्स्टर्डम छोड़कर हेग में स्थित शाही राजमहल में इसलिए वापस आना पड़ा, क्योंकि एम्स्टर्डम में 'अन्य छात्रों जैसा निश्चिंत छात्र-जीवन संभव नहीं रह गया था।... अब वह घर (राजमहल हुइस देन बोश) से बाहर नहीं जाती।' रानी मक्सीमा ने नाम लेकर कारण बताने के बदले पत्रकारों से कहा कि आप लोग भी वे बातें जानते ही होंगे, जो इस समय कही-सुनी जा रही हैं। उनका परिणाम बहुत ही गंभीर हो सकता है। इसीलिए अब वह एम्स्टर्डम में नहीं रहती और यहां भी घर से बाहर नहीं निकलती।
चिंता राजकुमारी की सुरक्षा की : रानी मक्सीमा का इशारा अख़बारों में छपी अपराधों संबंधी एक ऐसी ख़बर की तरफ था, जिसका संबंध राजकुमारी की सुरक्षा से भी है। पत्रकारों ने जब राजा विलेम-अलेक्सांदर से पूछा कि पिता के नाते उन्हें कैसा लग रहा है, तो उनका दुखभरा बहुत ही संक्षिप्त उत्तर था, 'मैं बता नहीं सकता। बहुत ही मुश्किल है।'
लोकतांत्रिक नीदरलैंड वास्तव में समय के साथ इतना उदार देश बन गया है कि उसकी उदारता ही अब उसके गले का फांस बनती जा रही है। युवराज्ञी अमालिया द्वारा एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय में पढ़ाई शरू करने के कुछ ही समय बाद, 'दे टेलेग्राफ़' नाम के अख़बार ने लिखा कि अमालिया, अपराधी ड्रग-माफ़िया गिरोहों की आंखों में चढ़ गई हैं। देश के सुरक्षा अधिकारियों ने प्रधानमंत्री मार्क रुटे के नाम के साथ-साथ राजकुमारी का नाम भी इन गिरोहों की गोपनीय टेलीफ़ोन वार्ताओं में सुना है। जो कुछ सुना है, समझा जाता है कि उससे यही संकेत मिलता है कि नीदरलैंड के ड्रग-माफ़िया गिरोह प्रधानमंत्री रुटे और युवराज्ञी अमालिया का अपहरण करने की योजना बना रहे हैं।
नशीले पदार्थ आसानी से उपलब्ध : नीदरलैंड यूरोप का एक ऐसा देश है, जिसने गांजा, चरस, भांग (हशिश, मरीजुआना इत्यादि) जैसे मादक द्रव्यों की बिक्री एवं उपभोग के नियमों को बहुत उदार बना दिया है। उन्हें 'नरम मादक द्रव्य' (सॉफ़्ट ड्रग्स/ सॉफ़्ट ओपिऐट्स) की श्रेणी में रखा गया है। इस श्रेणी के मादक द्रव्यों को एक निश्चित मात्रा में ख़रीदना, अपने पास रखना और उनका सेवन करना दंडनीय अपराध नहीं है। उन्हें लाइसेंस प्राप्त 600 से अधिक तथाकथित 'कॉफ़ी शॉप्स' या 'स्मार्ट शॉप्स' में ख़रीदा जा सकता है।
नियम कहता है कि 'नरम मादक द्रव्यों' का सेवन केवल इन दुकानों में या अपने घर में किया जाना चाहिए। लेकिन लोग इस नियम का न तो कठोरता से पालन करते हैं और न हर जगह, हर समय पुलिस होती है कि वह इस नियम का पालन करवाए। डॉक्टर की लिखी पर्ची होने पर 'कठोर मादक द्रव्य' (हार्ड ड्रग्स) भी ख़रीदे जा सकते हैं, लेकिन केवल किसी अधिकृत दवा की दुकान में। सरकार ने नरम और कठोर मादक द्रव्यों की सूची बना रखी है।
एम्स्टर्डम नशेड़ियों और तस्करों का अड्डा : नीदरलैंड की सरकार ने सोचा था कि 'नरम मादक द्रव्यों' की उलब्धता और सेवन के नियम उदार बनाने से उनके अवैध क्रय-विक्रय वाले अपराधों में भारी कमी आएगी। अवैध तस्करी और इन द्रव्यों में हानिकारक चीज़ों की मिलावट भी घटेगी। लेकिन, हो यह रहा है कि इन उदार नियमों का लाभ उठाने के लिए पड़ोसी देशों के लोग भी भारी संख्या में नीदरलैंड जाने लगे हैं। एम्स्टर्डम शहर नशेड़ियों और तस्करों का अड्डा बन गया है।
समय के साथ मांग इतनी बढ़ती गई है कि तस्करी के रास्ते से हर साल सैकड़ों-हजारों टन गांजा-चरस-कोकेन आदि नीदरलैंड के एम्स्टर्डम, रोटरडम और बेल्जियम के ऐन्टवर्प बंदरगाह से होता हुआ नीदरलैंड के वैध-अवैध विक्रताओं और उपभोक्ताओं तक पहुंच रहा है। तस्करी का टनों माल कभी-कभी तो पकड़ में आ जाता है, पर कौन जाने कि कितनी बार पकड़ में नहीं भी आता।
अरबों डॉलर का धंधा : यह करोड़ों नहीं, अरबों डॉलर का धंधा बन गया है। जहां अरबों डॉलर का बाज़ार हो, वहां उसे चलाने-फैलाने और उस पर धाक जमाने के माफ़िया गिरोह न बनें, यह हो नहीं सकता। वे अपराध और खून-ख़राबे न करें, यह भी नहीं हो सकता। अनुमान है कि यूरोप में कोकेन के व्यापार का एक-तिहाई, मादक द्रव्यों की तस्करी करने वाले नीदरलैंड के माफ़िया गिरोहों के हाथ में है।
न तो पुलिस और न सरकार ही बता रही है कि वह कौन है, जो युवराज्ञी अमालिया के लिए ख़तरा बन गया है। लेकिन, जानकारों का अनुमान यही है कि यह ख़तरा तथाकथित 'मोक्र-माफ़िया' की ओर से पैदा हुआ होना चाहिए। यह अपराधी गिरोहों का एक ऐसा माफ़िया संगठन है, जिसने नीदरलैंड और बेल्जियम के मादक द्रव्य बाज़ार पर धाक जमा रखी है। उसने इन दोनों देशों को यूरोप में मादक द्रव्यों का सबसे बड़ा बाज़ार बना दिया है। दोनों देशों में कुख्यात एक सबसे बड़ा सरगना है 44 वर्षीय रिदोउन ताग़ी। कई लोगों की हत्या के आरोप में इस समय एम्स्टर्डम में उस पर मुकदमा चल रहा है।
सौदेबाज़ी के लिए अपहरण की योजना? : रिदोउन ताग़ी की गिरफ्तारी और युवराज्ञी अमालिया की सुरक्षा के लिए ख़तरे के बीच क्या संबंध है, यह फ़िलहाल स्पष्ट नहीं है। नीदरलैंड के अपराध जगत को जानने-समझने वाले विशेषज्ञ इसे संभव मानते हैं कि ताग़ी के सहयोगी उसे छुड़ाने के लिए सौदेबाज़ी का कोई उपाय ढूंढ रहे हों। अमालिया का अपहरण वे यदि नहीं भी कर पाएं, तब भी ऐसी अफ़वाहे उड़ा कर भय और सनसनी तो फैला ही सकते हैं।
माफ़िया की नज़र प्रधानमंत्री मार्क रुटे पर भी है। रुटे अपने घर से प्रधानमंत्री कार्यालय तक यथासंभव साइकल से जाने के अभ्यस्त हैं। कार से वे तभी जाते हैं, जब मौसम साइकल चलाने के अनुकूल न हो। रुटे को भी कुछ समय तक साइकल से परहेज़ करना होगा।
पत्रकार और वकील की हत्या : ताग़ी और उसके सेवक इस बात के प्रमाण दे चुके हैं कि जो कोई उनके आड़े आता है, वे उसका सफ़ाया करने से हिचकते नहीं। 2021 की गर्मियों में पेटर दे फ़्रीस नाम के एक जाने-माने पत्रकार की एम्स्टर्डम में गोली मारकर हत्या करदी गई। वह रिदोउन ताग़ी की गिरफ्तरी को संभव बनाने वाले मुखबीर का बहुत नज़दीकी था।
दे फ़्रीस की हत्या से पहले इस मुखबीर के भाई और मुखबीर के वकील की भी हत्या करदी गई थी। पत्रकार दे फ़्रीस की हत्या को इस बीच आतंकवादी कार्य घोषित कर दिया गया है। हाल ही में गिरफ्तार दो व्यक्तियों ने अपने बयान में कहा कि उन्हें दे फ़्रीस की हत्या करने और साथ ही हत्या की वीडियो क्लिप बना कर सोशल मीडिया पर डालने के लिए कहा गया था।
बेल्जियम के न्यायमंत्री अपहरण से बाल-बाल बचे : अपहरण के भी छोटे-मोटे नहीं, कई बड़े मामले हो चुके हैं। कुछ ही सप्ताह पहले, बेल्जियम की पुलिस अपने देश के न्यायमंत्री, विन्सेन्ट फ़ान क्विकेनबोर्न के अपहरण को विफल करने में जैसे-तैसे सफल रही। उनके अपहरण की योजना इसलिए बनी, क्योंकि उन्होंने मादक द्रव्य वाले अपराधों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया है। अपहरण का प्रयास करने वाले चारों गिरफ्तार अपराधी नीदरलैंड के निवासी हैं।
इस घटना के बाद नीदरलैंड की न्यायमंत्री दीलान येसिलग्यौएत्स-ज़ेगेरियुस अब माफ़िया गिरोहों से लड़ने के इटली के अनुभवों से शिक्षा लेना चाहती हैं। 'हम इटली से बहुत कुछ सीख सकते हैं कि माफ़िया गिरोहों की शक्ति के पीछे छिपे तानेबाने कैसे छिन्न-भिन्न किए जा सकते हैं,' उनका कहना है। नीदरलैंड की न्यायमंत्री का यह भी मानना है कि इटली की दंडविधान संहिता उनके देश के लिए एक अनुकरणीय आदर्श बन सकती है।
अंगरक्षकों के साथ विश्वविद्यालय की पढ़ाई : लेकिन, यह सब अभी दूर की कौड़ी है। नीदरलैंड की 18 वर्षीय युवराज्ञी कतरीना-अमालिया सारे समय घर पर ही नहीं रह सकतीं। राजनीति, मनोविज्ञान और अर्थशास्त्र एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय में उनकी पढ़ाई के विषय हैं। इसलिए उनके माता-पिता ने मान लिया है कि वे विश्वविद्यालय जा सकती हैं, लेकिन केवल 'अतिरिक्त अंगरक्षकों के साथ।' बाक़ी समय वे घर नहीं छोड़ सकतीं। उदाहरण के लिए, सिनेमा देखने, किसी पब (मदिरालय) में जाने, अपनी सखियों-सहेलियों से मिलने, कोई त्योहार-उत्सव मनाने या साइकल चलाने जैसी चीज़ों के लिए भी वे घर से बाहर नहीं जा सकतीं।
दूसरे शब्दों में, नीदरलैंड की भावी रानी को अपने देश के माफ़िया गिरोहों के डर से, एक लंबे समय तक, सोने के पिंजरे में क़ैद चिड़िया की तरह मन मसोस कर रहना पड़ेगा। उनकी मां, रानी मक्सीमा के शब्द हैं, 'अपने किसी बच्चे को खुश न देखना कतई अच्छा नहीं लगता।' अमालिया से छोटी, स्कूल जाती उनकी दो और बहने हैं। उनकी भी सुरक्षा चिंता का विषय बन सकती है। यह हाल है एक ऐसे प्रसिद्ध देश का, जिसके बारे में हम अन्यथा बहुत अच्छी बातें ही सुनते हैं।