सेना प्रमुख ने इस मुलाकात की पूरी जानकारी अपने फेसबुक पेज पर देते हुए कहा कि रोहिंग्या को 'बंगाली' कहा जाता है और इस समस्या के लिए ब्रिटिश साम्राज्यवाद की नीतियां ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश काल में इन लोगों को म्यांमार में शरण दी गई थी और जहां तक रिकॉर्ड का सवाल है तो ये लोग म्यांमार के मूल नागरिक भी नहीं हैं।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने बुधवार को कहा था कि म्यांमार के सुरक्षा बलों ने उत्तरी राखिने राज्य से लाखों रोहिंग्या लोगों को बर्बर तरीके से देश से बाहर निकाल दिया है, उनके घरों को आग लगा दी गई है और फसलें तबाह कर दी गई हैं। इन्हें वापस जाने से भी रोका जा रहा है।