दूसरी ओर तालिबानी अब पंजशीर की घाटी की ओर बढ़ रहे हैं। इस इलाके को अजेय माना जाता है। एक तालिबानी प्रवक्ता ने तीनों जिलों पर कब्जे की घोषणा की है। नॉर्थ अफगानिस्तान में एक स्थानीय ग्रुप ने पिछले हफ्ते इस तीनों जिलों पर कब्जे का ऐलान किया था। बगलान क्षेत्र के बानो, देह सालेह और पुल-ए-हेसार पर स्थानीय मिलिशिया समूहों ने कब्जा कर रखा था।
आपको बता दें कि पंजशीर घाटी के इन जिलों में इस स्थानीय गुट में शामिल लड़ाकों को 'पंजशीर का शेर' कहा जाता है। बताया जाता है कि तालिबान विरोधी इस गुट ने कुछ दिनों पहले तालिबानी आतंकियों से युद्ध के बाद इन तीनों जिलों से उन्हें हटा दिया था, लेकिन अब एक बार फिर तालिबान ने इन जिलों पर कब्जा करने का दावा किया है।
सोमवार को तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने ट्वीट कर कहा कि तालिबानी लड़ाकों ने जिले को खाली करा लिया है और पंचशील वैली के बदख्शां, ताखर और अंदराब में वे मौजूद हैं। अफगानिस्तान के इन इलाकों में उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह और पूर्व सोवियत विरोधी मुजाहिदीन कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद का कब्जा था। दोनों ने ही तालिबान के विरोध की कसम खाई थी।
अहमद मसूद के साथ अफगानी सेना के कुछ जवान और स्पेशल फोर्स के सदस्य भी हैं। अहमद मसूद ने कहा है कि हम युद्ध और बातचीत दोनों के लिए ही तैयार हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमहद मसूद ने तालिबान को समझौते का न्योता भी दिया है। मसूद ने यह भी कहा है कि अगर तालिबान ने घाटी में घुसने की हिमाकत की तो वो उसका विरोध करेंगे। हाल ही में मसूद पक्ष ने दावा किया था कि उन्होंने तालिबानियों को घेर लिया और 300 से अधिक लड़ाकों को मार गिराया।