इस्लामिक चरमपंथी समूह तालिबान ने पिछले साल बिना किसी प्रतिवाद के अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तब कब्जा कर लिया था, जब अमेरिकी सैनिक वापसी की तैयारी कर रहे थे। यह तालिबान की सांकेतिक जीत थी, क्योंकि विश्व महाशक्ति 2 दशक के खूनखराबे के बाद भी तालिबान को उभरने से नहीं रोक सकी।
पाक इंस्टीट्यूट ऑफ पीस स्टडीज (पीआईपीएस) की 'अफगानिस्तान की स्थिति और पाकिस्तान की नीतिगत प्रतिक्रिया' विषय पर जारी रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान के लिए काबुल में आतंकवादी शासन का खतरा स्पष्ट हो गया है, क्योंकि देश ने गत 1 साल में आतंकवादी हमलों में अप्रत्याशित तौर पर 51 प्रतिशत की वृद्धि देखी है। पीआईपीएस की रिपोर्ट के मुताबिक 15 अगस्त 2021 से 14 अगस्त 2022 के बीच पाकिस्तान में 250 आतंकवादी हमले हुए जिनमें 433 लोगों की जान गई और 719 लोग घायल हुए।
थिंक टैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हाल के महीने में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आंतकवादियों के अफगानिस्तान से वापसी की खबरों से खैबर पख्तूनख्वा के लोगों में भय और घबराहट का माहौल है। इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि आतंकवादियों की गतिविधियां खैबर पख्तूनख्वा के अहम स्थानों जैसे पेशावर, स्वात, दीर और टैंक में देखने को मिली है, जो संकेत देता है कि उसका विस्तार हो रहा है।