Nepal में तख्तापलट से क्यों घबराए शी जिनपिंग, किस बात का लगने लगा डर

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

मंगलवार, 9 सितम्बर 2025 (21:53 IST)
चीन ने नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के पद से हटने और नेपाली राजनीतिक वर्ग के खिलाफ जारी छात्रों के हिंसक आंदोलन पर अभी तक आधिकारिक रूप से प्रतिक्रिया नहीं दी है। ओली को चीन समर्थक माना जाता है। नेपाल में तख्तापलट के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी घबरा गए हैं और उन्हें भी डर सता रहा है।
 
कहीं आ ना जाए आंदोलन की आंच 
चीन को इस आंदोलन से अपने यहां भी छात्रों के एकजुट होने और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन की आशंका डरा रही है। उसे 1979 का वह दौर भी याद आ रहा है, जब डेमोक्रेसी की मांग को लेकर हजारों चीनी युवा सड़कों पर उतर आए थे। तब उस आंदोलन को चीनी सरकार ने सैन्य शक्ति का इस्तेमाल कर बेरहमी से कुचल दिया था।   
ALSO READ: Generation Z protests : नेपाल में हिंसक प्रदर्शन के बीच मनीषा कोइराला ने अपने दादा को दी श्रद्धांजलि, सोशल मीडिया पर क्या लिखा
ओली ने बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। प्रदर्शनकारियों ने कई बड़े नेताओं के आवासों, राजनीतिक दलों के मुख्यालयों पर हमला किया और यहां तक ​​कि संसद में भी तोड़फोड़ की।  
ALSO READ: Generation Z protests in Nepal : नेपाल में हिंसा का तांडव, पूर्व PM की पत्नी को जिंदा जलाया
चीन की यात्रा और छोड़ना पड़ा प्रधानमंत्री पद
ओली हाल ही में तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन और द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर चीन की जीत की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित चीनी सैन्य परेड में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा पर गए थे। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ ने ओली के इस्तीफे और सोमवार को काठमांडू तथा देश के अन्य हिस्सों में शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों पर एक संक्षिप्त खबर दी। ओली बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बाद किसी दक्षिण एशियाई देश के दूसरे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने चीन यात्रा के बाद अपने-अपने देशों में हुए दंगों के कारण कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पद छोड़ दिया।
ALSO READ: Generation Z protests in Nepal : बैंकों में लूटपाट, एयरपोर्ट पर आग, नेपाल में किस दिशा में जा रहा है जनरेशन जेड का प्रदर्शन
पिछले वर्ष 5 अगस्त को हसीना भारत चली गई थीं। बीजिंग की यात्रा से लौटने के कुछ ही दिन बाद हसीना की अवामी लीग सरकार के कथित भ्रष्टाचार व कुशासन को लेकर बड़े पैमाने पर छात्र प्रदर्शन शुरू हो गए थे। ओली का इस तरह इस्तीफा देना श्रीलंका में राजपक्षे परिवार के शासन के अंत की भी याद दिलाता है। नेपाल की विदेश नीति पारंपरिक रूप से भारत के अनुकूल हुआ करती थी, लेकिन ओली ने विदेश नीति में चीन को अधिक महत्व दिया, जिसके कारण उन्हें चीन समर्थक माना जाने लगा।
 
महिंदा राजपक्षे के भाई गोटबाया राजपक्षे ने 2022 में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद हुए दंगों का खामियाजा पूरे राजपक्षे परिवार को भुगतना पड़ा।
 
साल 2005 से 2015 तक राष्ट्रपति रहे महिंदा राजपक्षे ने ओली की तरह ‘‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’’ (बीआरआई) के तहत चीन को श्रीलंका में भारी निवेश की अनुमति दी, जिसके बाद देश की विदेश नीति चीन की ओर झुक गई। इसमें हंबनटोटा बंदरगाह भी शामिल था, जिसे चीन ने 99 साल के लिए पट्टे पर लिया था। इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी