विराट कोहली ने 30 गेंदों पर 39 रन बनाए और वे 73 रन के कुल स्कोर पर तीसरे बल्लेबाज के रूप में आउट होकर पैवेलियन लौटे। यदि पठान ने यहां पर विराट को जीवनदान दिया होता तो देर रात बेंगलुरु की टीम जश्न में डूबी हुई नजर आती। यही कैच मैच का टर्निग पाइंट सिद्ध हुआ। विराट खुद भी अचंभित थे कि आखिर यूसुफ ने इतना मुश्किल कैच कैसे लपक लिया।
पूरा स्टेडियम सांस रोके आखिरी गेंद का इंतजार कर रहा था और यह भी दुआ कर रहा था कि आखिरी गेंद पर विजयी छक्का न उड़े। भुवनेश्वर की गेंद ने जब ग्रैंडहोम के डंडे बिखेर दिए तो पूरा स्टेडियम खुशी से झूम उठा। भुवनेश्वर की किस्मत का सितारा कैसे चमका, इसका उदाहरण था ये विकेट क्योंकि 4 ओवर में 27 रन की कीमत पर उनके हाथ यही कीमती विकेट लगा था।