शनिवार की पार्टी का 'हैंगओवर' रविवार तक बना रहता है और उसके बाद दिन बड़ी अल मस्ती से गुजरता है। यहां तो रविवार के रोमांच की मस्ती दिनभर उतरने का नाम नहीं ले रही है। 'डबल सुपर ओवर' का 'ट्रिपल हैंगओवर', अभी भी सिर भन्ना रहा है, कोई तो लेमन जूस की पूरी बोतल लाओ..। देखने वालों का ये हाल है तो खेलने वाले किस दौर से गुजर रहे होंगे, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
ईमानदारी से मैच का स्कोर तो बेमानी है। कोलकाता की बात की जाए तो शुभमन गिल, राहुल त्रिपाठी तथा नीतीश राणा ने अच्छा आगाज किया लेकिन आगे के सफर में विजय शंकर और राशिद खान 'स्पीड ब्रेकर' बन गए। बाद में कप्तान इयोन मोर्गन और पूर्व कप्तान दिनेश कार्तिक ने 30 गेंदों में 58 रनों की साझेदारी कर स्कोर सम्मानजनक 163 तक पहुंचा दिया।
बेरियस्टो और अनफिट विलियमम्सन ने बेहतरीन आगाज करते हुए पावरप्ले तक 58 रनों की मजबूत शुरुआत की। फिर अचानक ही कहर टूट पड़ा लौकी फर्ग्यूसन के रूप में। पदार्पण में ही बंदे ने विलियम्सन प्रियम गर्ग और मनीष पांडे के बटके भर लिए, खर्च किए केवल 8 रन।
बल्लेबाजी करने नीचे आए कप्तान वॉर्नर मैच 'टाई' होने तक दम मारते रहे और अब्दुल समद ने उनका अच्छा साथ निभाया। 6 गेंदों में 17 रन चाहिए थे और वॉर्नर 16 तक ही पहुंच पाए। हाथी की तरह टीम में पल रहे अनफिट आंद्रे रसैल ने बेहद खराब गेंदबाजी करते हुए इस ओवर में 16 रन दे दिए।
एक्स फैक्टर के रूप में फर्ग्युसन का पदार्पण रंग लाया और उन्होंने सुपर ओवर की पहली गेंद पर वार्नर के स्टंप उड़ा दिए। 2 रन बनाकर अब्दुल समद भी आउट हो गए। जवाब में मोर्गन ने राशिद खान के सामने 1 रन बनाया और 2 लेग बाई के रूप में कार्तिक ने लक्ष्य हासिल कर लिया। ईमानदारी से फर्ग्युसन को मैच में उतारने का फैसला नाइट राइडर्स के लिए 'वरदान' साबित हुआ।
सुपर से उपर गया पंजाब और मुंबई का मैच
दूसरी तरफ मुंबई टॉस जीतकर पहले उतरी और रोहित शर्मा, सूर्य कुमार एवं ईशान किशन ने डगआउट की शोभा बढ़ाने में देरी नहीं की। क्रुणाल पांड्या ने पतझड को रोका जबकि शमी ने टीम को हार्दिक भेंट किया। बाद में छक्कों के लॉर्ड पोलार्ड (34) और कूल्टर नाइल (24) ने स्कोरबोर्ड को लड़ाकू चेहरा प्रदान किया। बिश्नोई (2) विकेट और मैक्सवेल ने अवश्य प्रभावित किया।
जवाब में मयंक अग्रवाल रोहित शर्मा द्वारा डीआरएस नहीं लेने के कारण और बाद में सूर्यकुमार द्वारा कैच छोड़ने की वजह से बच गए। वे इसका फायदा उठा नहीं पाए और जसप्रीत बुमराह ने उन्हें गुमराह कर दिया।
प्रभावित किया केएल राहुल की लाजवाब शास्त्रीय बल्लेबाजी ने। बंदे ने आउट होने से पूर्व तक मुंबई की सांसे थाम ली थी। उन्हें 77 के व्यक्तिगत योग पर बुमराह ने वापस भेजा। गेल (21) और मैक्सवेल (0) को चाहर ने निपटा दिया। दीपक हुड्डा और जॉर्डन उम्दा प्रयास किए लेकिन 176 तक ही पहुंच पाए और पोलार्ड के थ्रो से मैच 'टाई' हो गया।
पहले 'सुपर ओवर' मैं बुमराह ने 5 रन देकर 2 विकेट लिए। फॉर्म में चल रहे राहुल एवं निकोलस पूरन के रुप में।जवाब में मोहम्मद शमी ने रोहित शर्मा तथा डिकॉक के विकेट लेकर 5 रन दिए। समझ से परे है कि 130 से 160 का स्ट्राइक रेट रखने वाले यह पेशेवर सुपर ओवर में क्यों लड़खड़ा जाते हैं।
हद तो तब हो गई जब 'डबल सुपर ओवर' में पोलार्ड तथा हार्दिक 11 रन ही जोड़ पाए जबकि हार्दिक (1) एक गावदी अंदाज में रन आउट हो गए। यहां प्रशंसा करनी होगी मयंक अग्रवाल की, जिन्होंने पोलार्ड का छक्का पकड़कर गेंद हवा में ही मैदान के अंदर डाल दी और 4 रन बचा लिए। जॉर्डन के ओवर में वास्तव में 8 गेंदों में 11 रन आए जबकि इसमें दो वाइड गेंद भी शामिल है।
बचाव में 4 ओवर में जमकर ठुके हुए बोल्ट की पहली गेंद पर गेल ने छक्का जमाकर बाद में 1 रन भी ले लिया। फिर मयंक ने दो चौके उड़ा कर मैच किंग्स के नाम कर दिया वैसे तो इस झमेले के लिए कई जिम्मेदार है तो कई दोषी भी । यही कह सकते हैं की जो जीता वही सिकंदर।
दोनों मैचों से दिगर हटकर बात करें तो आईपीएल में लगातार यह तीसरा मौका है, जब केएल राहुल ने 500 के ऊपर व्यक्तिगत रन बनाए हैं। इसके बावजूद उनकी टीम अंक तालिका में पीछे से नंबर 2 है। निश्चित ही यह आंकड़े उनकी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं करते।