20 लाख के अय्यर जिन्होंने कोहली के गेंदबाजों की हालत टाइट की, होते IIT या IIM पासआउट
मंगलवार, 21 सितम्बर 2021 (17:23 IST)
सोमवार को अपनी आईपीएल कैप पाने के बाद वेंकटेश अय्यर सबसे ज्यादा अपनी मां का धन्यवाद देना चाह रहे होंगे। दूसरों से उलट उनकी मां ने ही अय्यर को बार बार टोका और बाहर खेलने के लिए भेजा।
बैंगलोर के खिलाफ 41 रन बनाने वाले अय्यर ने कहा कि, "मैं एक मेधावी छात्र था, जिसका झुकाव पढाई की ओर ज्यादा था। आमतौर पर इसके ठीक उल्टा होता है, खासकर दक्षिण भारतीय परिवारों में, जहां माता-पिता बच्चों को पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करते हैं। मेरे मामले में मेरी मां ने मुझे क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया।"
खेल खेल में शुरु किया था क्रिकेट
कई समय से इंदौर में रह रहे और मध्यप्रदेश टीम में अपना स्थान बना चुके अय्यर ने कहा कि क्रिकेट खेलना एक संयोग रहा और बस खेल खेल में ही वह इस खेल से जुड़ गए। अय्यर ने हंसते हुए कहा- "ईमानदारी से कहूं तो, मैंने खेलना शुरू किया जब मेरी माँ अक्सर मुझे घर के अंदर किताबी कीड़ा बने रहने के बजाय बाहर निकल कर पसीना बहाने के लिए प्रेरित करती थी।"
पढ़ाई में रहे अव्वल
जब तक वह 19 साल के थे तब तक उन्होंने क्रिकेट के बारे में गंभीरता से सोचा ही नहीं था। एक बी कॉम डिग्री के साथ एक चार्टर्ड अकाउटेंट की डिग्री में उन्होंने दाखिला ले लिया। साल 2016 में पहली परीक्षा भी पास करली। इसके बाद उनके सामने क्रिकेट और पढ़ाई में से किसी एक को चुनने का मौका था।
क्रिकेट में वह मध्यप्रदेश की वरिष्ठ टीम के लिए टी-20 और 50 ओवर में अपना पदार्पण कर चुके थे। प्रथम श्रेणी में उनका चयन एक औपचारिकता मात्र थी। इस कारण उन्होंने सीए की जगह एमबीए फाइनेंस में दाखिला लेना बेहतर समझा।
अय्यर ने कहा , ''मैंने अपना सीए छोड़कर फाइनेंस में एमबीए करने का फैसला किया।'' "मैंने बहुत सारी प्रवेश परीक्षाएँ दीं, अच्छे अंक प्राप्त किए, और एक अच्छे कॉलेज में दाखिला लिया। मैं भाग्यशाली था कि फैकल्टी को मेरा क्रिकेट पसंद आया, और उन्होंने देखा कि मैं अच्छा कर रहा था, और मेरी उपस्थिति और नोट्स् से लेकर परीक्षा तक के पुनर्निर्धारण की सुविधा मुझे मिली।"
He could have been a high-flying management professional, but Venkatesh Iyer, the latest #KKR debutant, chose a different path#KKRvRCB | #IPL2021
साल 2018 में नौकरी और रणजी ट्रॉफी का एक साथ मिला मौका
साल 2018 में अय्यर को एक अकाउंटी कंपनी से नौकरी का प्रस्ताव भी आया। हालांकि बैंगलोर जाना अय्यर के लिए संभव नहीं था और उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। हालांकि इसका उन्हें ज्यादा अफसोस नहीं मनाना पड़ा क्योंकि इस ही साल उन्हें रणजी ट्रॉफी खेलने का मौका मिल गया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वह क्रिकेटर नहीं होते तो IIT या फिर IIM पासआउट होते।
टर्निंग प्वाइंट भी रहा बहुत दिलचस्प
रणजी ट्रॉफी के दौरान ही अय्यर के एमबीए एंट्रेस एक्साम चल रहे थे। सत्र के पहले मैच में वह सस्ते में आउट हो गए थे। लेकिन अगला मैच टर्निंग प्वाइंट रहा था। उन्होंने अपना एमबीए एंट्रेस एक्साम बीच में छोड़ा और जल्दी जल्दी ट्रैफिक सिग्नल फांद कर मैदान पर पहुंचे।
उस वक्त उनकी टीम का स्कोर 60 रनों पर 6 रन था। अय्यर अपने एक्साम में गलत जवाबों पर अफसोस कर रहे थे लेकिन जैसे ही वह पिच पर पहुंचे तो उन्होंने जमने के बाद शतक जड़ दिया। यह उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट रहा।
कोलकाता भी ज्यादा देर तक नहीं कर सकी नजरअंदाज
आईपीएल 2021 के पहले सत्र में वह डगआउट में ही बैठे दिखे। लेकिन दूसरे भाग के पहले मैच में ही उनको मौका मिला और पदार्पण कर रहे वेंकटेश अय्यर ने नाबाद 41 बनाए और कोलकाता की जीत पर मुहर लगाई। अय्यर की 27 गेंद की पारी में सात चौके और एक छक्का शामिल रहा।
कोलकाता ने वेंकटेश अय्यर को 20 लाख के बेस प्राइस में खरीदा था। कल अपने पहले मैच के बाद उन्होंने अपने कप्तान इयॉन मॉर्गन को भी प्रभावित किया।
मोर्गन ने मैच के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, मुझे लगता है कि वेंकटेश ने जिस तरह की पारी खेली, वह बेजोड़ थी। निश्चित तौर पर हम इसी तरह की क्रिकेट खेलना चाहते हैं। हमारी टीम में बहुत प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं।(वेबदुनिया डेस्क)